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________________ प्रकीर्णकानि // 10 श्रीमरणसमाधिप्रकीर्णकम् / [11 तो विहलो अह जम्मो धम्मरुक्खाणं // 76 // दिक्खं मइलेमाणा मोहमहावत्तसागराभिहया / तस्त अपडिकमंता मरंति ते बालमरणाई // 77 // इय अवि मोहयउत्ता मोहं मोत्तूण गुरुसगासम्मि / बालोइय निस्तल्ला मरिउं पाराहगा तेऽवि // 78 // इत्थ विसेसो भगणइ छलणा अवि नाम हुज जिणकप्पो। कि पुण इयरमुणीणं तेण विही देसियो इणमो॥ 79 // अप्पविहीणा जाहे धीरा सुयसारझरियपरमत्था / ते पायरिय विदिन्नं उविति अब्भुजयं मरणं // 80 // बालोयणाइ 1 संलेहणाइ 2 खमणाइ 3 काल 4 उस्सग्गे 5 / उग्गासे 6 संथारे 7 निसग्ग 8 वेरग्ग , मुक्खाए 10 / / 81 // माणविसे तो 11 लेसा 12 सम्मत्तं 13 पायगमणयं 14 चेव / चउदसश्रो एस विही पढमो मरणंमि नायव्वो॥८२ // विणयोवयार माणस्स भंजणा पूयणा गुरुजणस्स / तित्थयराण य थाणा सुयधम्माऽऽराहणाऽकिरिया // 3 // छत्तीसाठाणेसु य जे पवयणसारझरियपरमत्था। तेसिं पासे सोही पन्नत्ता धीरपु. रिसेहिं // 84 // वयछक्क 6 कायछक्कं 12 बारसगं तह अकप्प 13 गिहिभाणं 14 / पलियंक 15 गिहिनिसिजा 16 ससोभ 17 पलिमजण सिणाणं 18 // 85 // यायारवं च 1 उवधारवं च 2 ववहारविहिविहिन्नू य / उन्बीलगा य धीरा परूवणाए विहिराणू या 3 // 86 // तह य अवायविहिन्नू 4 निजवगा 5 जिणमयम्मि गहियत्था 6 / अपरिस्साई 7 य तहा विस्तासरहस्स निच्छिड्डा 8 // 87 // पढमं अट्ठारसगं अट्ट य ठाणाणि एव भणियाणि / इत्तो दस गणाणि य जेसु उबट्टावणा भणिया // 88 / / अगवट्ठतिगं पारंचिां च तिगमेय छहि गिहीभूया 6 / जाणंति जे उ एए सुअरयणकरंडगा सूरी // 81 // सम्महसणचनं जे य वियाणंति वागमविहिन्नू 7 / जाणंति चरित्तायो श्र निग्गयं श्रपरिसेसायो 8 // 10 // जो श्रारंभे वट्टइ चिअत्तकिच्चो अणणुतात्री य 1 / सोगो य भवे दसमो 10 जेसूवट्ठावणा भणिया // 11 // एएसु विहिविहराणू छत्तीसाठाणएसु जे
SR No.004369
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_chatusharan, agam_aaturpratyakhyan, agam_mahapratyakhyan, agam_bhaktaparigna, agam_tandulvaicharik, agam_sanstarak, agam_gacchachar, & agam_chandra
File Size16 MB
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