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________________ 10, 2-13.] ववहारसुत्तं [ 33 वणीमगा; कप्पइ से एगस्स भुजमाणस्स पडिगाहेत्तए, नो दोण्हं, नो तिण्हं, नो चउण्हं, नो पञ्चव्हं, नो गुल्वीणीए, नो बालवत्याए, नो दारगं पेज्जमाणीए, नो अन्तोएलुयस्स दो वि पाए साहटु दलमाणीए, नो बाहिं एलुयस्स दो वि पाए साहटु दलमाणीए, एगं पायं अन्तो किच्चा एगं पायं बाहिं किञ्चा एलुयं विक्खम्भइत्ता एवं दलयइ, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए; एवं नो दलयइ, एवं से नो कप्पइ पडिगाहेत्तए / बिइज्जाए से कप्पइ दोण्णि दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, दोणि पाणस्स; तइयाए / से कप्पइ तिण्णि दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेतए, तिणि पाणस्स;....पन्नरसमाए से कप्पइ पन्नरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पन्नरस पाणस्स / बहुलपक्खस्स से पाडिवए कप्पन्ति चोहस / 2. पञ्चविहे ववहारे पन्नत्ते, तं जहा-आगमे सुए आणा धारणा जीए। 3. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता, तं जहा–अट्ठकरे नाम एगे, नो माणकरे; माणकरे नाम एगे, नो अट्ठकरे; एगे अट्ठकरे वि माणकरे वि; एगे नो अट्ठकरे नो माणकरे। 10 4. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नत्ता, तं जहा–गणट्ठकरे नामं एगे, नो माणकरे; माणकरे नामं एगे, नो गणट्ठकरे; एगे गणट् करे वि माणकरे वि; एगे नो गणट्ठकरे नो माणकरे। __5. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नत्ता, तं जहा—गणसंगहकरे नामं एगे, नो माणकरे; माणकरे नाम एगे नो गणसंगहकरे; एगे गणसंगहकरे वि माणकरे वि; एगे नो गणसंगहकरे नो माणकरे / 6. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता, तं जहा-गणसोहकरे नाम एगे, नो माणकरे; माणकरे नामं 15 एगे, नो गणसोहकरे; एगे गणसोहकरे वि माणकरे वि; एगे नो गणसोहकरे नो माणकरे। 7. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता, तं जहा–गणसोहिकरे नाम एगे, नो माणकरे; माणकरे नाम एगे, नो गणसोहिकरे; एगे गणसोहिकरे वि माणकरे वि; एगे नो गणसोहिकरे नो माणकरे / / 8. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता, तं जहा-रूवं नामेगे जहइ, नो धम्मं; धम्मं नामेगे जहइ, नो रूवं; एगे रूवं पि जहइ धम्मं पि जहइ; एगे नो रूवं जहइ नो धम्मं जहइ। 9. चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नत्ता, तं जहा-धम्मं नामेगे जहइ, नो गणसंठिइं; गणसंठिई नामेगे जहई, नो धम्म; एगे गणसंठिइं पि जहइ धम्मं पि नहइ; एगे नो गणसंठिई जहइ नो धम्मं जहइ / 10. चत्वारि पुरिसज्जाया पन्नत्ता, तंजहा–पियवम्मे नामेगे, नो दधम्मे; दढधम्मे नामेगे, नो पियधम्मे; एगे पियधम्मे वि दृढधम्मे वि; एगे नो पियधम्मे नो दढधम्मे / . 11. चत्तारि आयरिया पन्नत्ता, तं जहा-पव्वावणायरिए नामेगे, नो उवट्ठावणायरिए; उवट्ठा-8 वणायरिए नामेगे, नो पव्वावणायरिए; एगे पव्वावणायरिए वि उवट्ठावणायरिए वि; एगे नो" पत्वावणायरिए नो उवट्ठावणायरिए, धम्मायरिए। . 12. चत्तारि आयरिया पन्नत्ता, तं जहा-उद्देसणायरिए नामेगे, नो वायणायरिए; वायणायरिए नामेगे, नो उद्देसणायारए; एगे उद्देसणायरिए विवायमायरिए वि; एगे नो उद्देसणायरिए नो वायणायरिए; धम्मायरिए। 13. चत्तारि अन्तेवासी पन्नत्ता; तं नहा-उद्देसणन्तेवासी नामेगे, नो वायणन्तेवासी; वायणन्तेवासी नामेगे, नो उद्देसणन्तेवासी; एगे उद्देसणन्तेवासी वि वायणन्तेवासी वि; एगे नो उद्देसणन्तेवासी नो वायणन्तेवासी. धम्मन्तेवासी / 9K.S.
SR No.004353
Book TitleKalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size9 MB
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