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________________ 7, 18-23.8.1-7] ववहारसुत्तं / 29 परिट्ठवेत्तए; अत्यि याइं थ केइ साहम्मिय सन्तिए उवगरणजाए परिहरणारिहे, कप्पइ से सागारकडं गहाय दोच्चं पि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहारं परिहारेत्तए / 18. सारिए उवस्सयं वक्कएणं पउञ्जेज्जा, से य वक्कइयं वएज्जा-'इमम्हि य इमम्हि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्ति', से सारिए पारिहारिए; से य नो वएज्जा, वक्कइए वएज्जा, से सारिए पारिहारिए; दो वि ते वएज्जा, दो वि सारिया पारिहारिया / 19. सारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा, से य कइयं वएज्जा-'इमम्हि य इमम्ह य ओवासे समणा निम्गन्था परिवसन्ति', से सारिए पारिहारिए; से य नो वएज्जा, कइए वएज्जा, से सारिए पारिहारिए; दो वि ते वएज्जा, दो वि सारिया पारिहारिया / 20. विहवधूया नायकुलवासिणी; सा वि यावि ओग्गहं अणुन्नवेयव्वा / किमङ्ग पुण पिया वा भाया वा पुत्ते वा, से वि यावि ओग्गहे ओगेण्हियव्वे, 21. पहिए वि ओग्गहं अणुन्नवेयव्वे / 10 22. से रज्जपरियट्टेसु संथडेसु अव्वोगडेसु अव्वेोच्छिन्नेसु अपरपरिम्गहिएमु स चेव ओग्गहस्स पुष्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे। 23. से रज्जपरियट्टेसु असंथडेसु वोगडेसु वोच्छिन्नेसु परपरिग्गहिएमु भिक्षुभावस्स अट्ठाए दोचं पि ओम्गहे अणुन्नवेयव्वे सिया / // ववहारस्स सत्तमो उद्देसओ समत्तो // // अट्ठमो उद्देसओ॥.. 15 1. गाहा उदू पज्जोसविए / ताए गाहाए ताए पएसाए ताए उवासन्तराए जमिणं सेज्जासंथारगं लभेज्जा, 'तमिणं तामणं ममेव' सिया। थेरा य से अणुजाणेज्जा, तस्सेव सिया; थेरा य से नो अणुजाणेजा, एवं से कप्पइ आहाराइणियाए सेज्जासंथारगं पडिग्गाहेत्तए / 2. से य अहालहुसगं सेजासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं एगाहं अध्दाणं परिवाहित्तए, 'एस मे वासावासुं भविस्सइ'। 3. से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ 20 जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा परिवहित्तए, ‘एस मे हेमन्तगिम्हासु भविस्तइ'। 4. से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं जाएजा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा चउयाहं वा पञ्चगाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, 'एस मे वुड्ढावासासु भविस्सइ' / .. 5. थेराणं थेरभूमिपत्ताणं कप्पइ दंडए वा भंडए वा छत्तए वा मत्तए वा लठ्ठिया वा चेले वा चम्मे वा चम्मपलिच्छेयणए वा अविरहिए ओवासे ठवेत्ता गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए पवि-25 सित्तए वा निक्खमित्तए वा। कप्पइ ण्हं संनियट्टचारीणं दोच्चं पि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहरित्तए / 6 नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निम्गन्थीण वा पाडिहारियं सेज्जासंथारगं दोच्चं पि ओग्गहं अणणुन्नवेत्ता बहिया नीहरित्तए; कप्पइ अणुन्नवेत्ता। 7. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा गिग्गन्थीण वा पाडिहारियं सेज्जासंथारगं सव्वप्पणा अप्पिणित्ता दोच्चं पि ओम्गहं अणणुन्नवेत्ता अहित्तिए; कप्पइ अणुन्नवेत्ता / 30 8 K. S.
SR No.004353
Book TitleKalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size9 MB
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