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________________ [ 27 . 6, 6-11.7,.1] ववहारसुत्तं तत्तियं रयाणं संवसइ, नात्थि याइ ण्ह केइ छेए वा परिहारे वा; नत्थि याइ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे, जे तत्तियं रयाणं संवसइ, सव्वेसि तसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा। 6. से गामसि वा....(जहा १,३४)....रायहाणिसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पइ बहुसुयस्स बब्भागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, किमङ्ग पुणं अप्पागमस्स अप्पसुयस्स / ___7. से गामंसि वा....(जहा 1, ३४)....रायहाणिसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगनिक्खम णपवेसाए कप्पइ बहुसुयस्स बब्भागमस्स . एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए दुहओ कालं भिक्खुभावं पडिजागरमाणस्स। 8. जत्थ एए बहवे इत्थीओ य पुरिसा य पण्हावेन्ति, तत्थ से समणे निग्गन्थे अन्नयरंसि अचित्तंसि सोयांस सुक्कपोग्गले निग्घाएमाणे हत्थकम्मपडिसेवणपत्ते आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं 10 अणुग्याइयं। - 9. जत्थ....(जहा 8 )....निघाएमाणे मेहुणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं / / 10. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निम्गन्थणि वा निम्गान्धि खुयायारं सबलायारं भिन्नायारं संकिलिट्ठायारचित्तं तस्स ठाणस्स अणालोयावेत्ता अपडिक्कमावेत्ता अनिन्दावेत्ता अगरहावेत्ता अविउट्टावेत्ता 15 अविसोहावेत्ता अकरणाए अणब्भुट्ठावेत्ता अहारिहं पायच्छितं अपडिवज्जावेत्ता उवट्ठावेत्तए वा संभुञ्जिभए वा संवसित्तए वा तेसिं इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा। 11. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा निग्गन्थि अन्नगणाओ आगयं खुयायारं....(जहा 10).... तस्स ठाणस्स आलोयावेत्ता पडिक्कमावत्ता निन्दावेत्ता गरहावेत्ता विउट्टावेत्ता विसोहावेत्ता अकरणाए अब्भुट्ठावेत्ता अहारिहं पायच्छित्तं पडिवज्जावेत्ता उवट्ठावेत्तए वा....( जहा 10 ).... 25 धारेत्तए वा। // चवदारस्स छट्टो उदेसओ समत्तो // / सत्तमो उद्देसओ। 1. जे निग्गन्था य निग्गन्थीओ य संभोइया सिया, नो कप्पइ निग्गीणं निग्गन्थे अणापुहित्ता निग्गन्थि अन्नगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं भिन्नायारं संकिलिट्ठायारचित्तं तस्स ठाणस्स अगालोयवित्ता....( जहा 6, १०)....पायच्छित्तं अपडिवज्जावेत्ता पुच्छित्तए वा वाएत्तए वा उवट्ठावेत्तए वा 25 संभुञ्जित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरियं दिसंवा अणुदिसंवा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा। कप्पइ निग्गन्थाणं निम्मन्धीओ आपुच्छित्ता वा अणापुच्छित्ता वा निग्गन्थि अन्नगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं भिन्नाथारं संकिलिट्ठायारचित्तं तरस ठाणरस आलोयदेत्ता (जहा९,११) पायच्छित्तं पडिवज्जावेत्ता पुच्छित्तए वा
SR No.004353
Book TitleKalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size9 MB
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