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________________ 4, 11-21] - ववहारसुतं [23 णारिहे, तस्स अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पइ से एगराइयाए पाडमाए जणं जणं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरन्ति तण्ण तण्णं दिसं....( जहा 1, 22 )....छेए वा परिहारे वा। 12. वासा वासं पज्जोसविओ भिक्खू....( जहा 11 )....छेए वा परिहारे वा / 13. आयरियउवज्झाए गिलायमाणे अन्नयरं वएज्जा * अज्जो, मामंसि णं कालगयसि समाणंसि अयं समुक्कसियव्वे / से य समुक्कसणारिहे, समुक्कसियव्वे; से य नो समुक्कसणारिहे, नो समुक्कसि-5 यव्वे / अत्थि याई थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे, से समुक्कसियव्वे; नत्थि याइ थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे, से चेव समुक्कसियव्वे / तंसि व णं समुक्किट्ठसि परो वएज्जा * दुस्समुक्किट्ठं ते, अज्जो; निक्खिवाहि !" तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केइ छेए वा परिहारे वा / जे साहम्मिया अहाकप्पेणं नो उट्ठाए विहरन्ति, सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा।। 14. आयरियउवज्झाए ओहायमाणे....(जहा 13 णवरं ओहावियसि जाव कालगयंसि).... 10 छेय वा परिहारे वा। 15. आयरियउवज्झाए सरमाणे जाव चउरायपंचरायाओ कप्पागं भिक्वं नो उवट्ठावेइ। कप्पाए अत्थि याइं से केइ माणणिज्जे कप्पाए, नत्थि से केइ छेए वा परिहारे वा; नत्थि याइं से केइ माणणिज्जे कप्पाए, से सन्तरा छेए वा परिहारे वा। 16. आयरियउवज्झाए असरमाणे परं चउरायाओ कप्पागं....( जहा 15 ).... 15 छए वा परिहारे वा। 17. आयरियउवज्झाए सरमाणे वा असरमाणे वा पर दसरायकप्पाओ कप्पागं भिक्खु नो उवट्ठावेइ / कप्पाए अत्थि याइं से केइ माणणिज्जे कप्पाए, नत्थि से केइ छेए वा परिहारे वा; नत्थि याई से केइ माणाणज्जे कप्पाए, संवच्छरं तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयारयत्तं उद्दिसित्तए / 18. भिक्खू य गणाओ अवकम्म अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरेज्जा, तं च केइ साहम्मिए 20 पासित्ता वएज्जा के अज्जो उवसंपज्जित्ताणं विहरसि?' जे तत्थ सव्वराइणीए तं वएज्जा। राइणीए तं वएज्जा * अहं भंते कस्स कप्पाए ? ' जे तत्थ सव्व बहुसुए तं वएज्जा / * जं वा से भगवं वक्खइ, तस्स आणा-उववायवयणनिद्देसे चिट्ठिम्सामि / ' 19. बहवे साहम्मिया इच्छेज्जा एगयओ अभिनिचारियं चारए; कप्पइ नो ण्हं थेरे अणापुच्छिता एगयओ अभिनिचारियं चारए, कप्पइ ण्हं थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए / 25 थेरा य से वियरेज्जा, एव ण्हं कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए; थेरा य से नो वियरेज्जा, एव ण्हं नो कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए / जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे एगयओ अभिनिचारियं चरन्ति, से अन्तरा छेए वा परिहारे वा / 20. चरियापवि भिक्खू जाव चउरायपञ्चरायाओ थेरे पासेज्जा, सच्चेव आलोयणा स च्चेव पडिकमणा स च्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिठ्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे। 21. चरियापविढे भिक्खू परं चउरायपञ्चरायाओ थेरे पासेज्जा, पुणो आलोएज्जा पुणो पडिकमज्जा पुणो छेयपरिहारस्स उवठ्ठाएज्जा / भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अणुन्नवेयव्वे सिया 30 श्रीजैनाम्बुद-चित्कोषः /
SR No.004353
Book TitleKalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size9 MB
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