________________ (30) सत्तेव अपजता सामी तह सुहुमवायरा चेव / विगलिंदिया उ तिमि उ तह य असत्री य सभी य // पण दो पणगं पण चदु पणगं बंधुदय सत्त पणगं च / पण छक्क पणग छ च्छक्क पणगमट्ठमेयारं // सत्तेव अपजत्ता सामी सुहुमो य बादरो चेव / / वियलिंदिया य तिविहा होंति असण्णी कमा सण्णी // कर्मकाण्ड गा० 704-5. पुनश्वानयोथियोर्विषयः कर्मकाण्डम्य 460-62 गाथासु द्रष्टव्यः / 42. गुणठाणगेसु अडसु एकोकं मोहबंधठाणेसु / पंचानियहिठाणे बंधोवरमो परं तत्तो / बावीसमेक्कवीसं सत्तर सत्तार तेर तिसु णवयं / थूले पण चदु तिय दुगमेकं मोहस्स ठाणाणि // कर्मकाण्ड गा० 161. 43-46. सचाइ दस उ मिच्छे सासायणमीसए नवुकोसा / छाई नव उ अविरए देसे पंचाइ अद्वैव // विरए खओवसमिए चउराई सत्त छञ्चपुबम्मि / अनियट्टिबायरे पुण इको व दुगे व उदयंसा // एग सुहुमसरागो वेएइ अवेयणा भवे सेसा / भंगाणं च पमाणं पुन्बुद्दिद्वेण नायचं // एक छडेकारेकारसेव एकारसेव नव तिनि / एए चउवीसगया बार दुगे पंच एकम्मि // दसणवणवादि चउतियतिट्ठाण णवट्ठसगसगादि चऊ / ठाणा छादितियं च य चदुवीसगदा अपुरो ति॥ , एक य छक्केयारं एयारेयारसेव णव तिण्णि / एदे चउवीसगदा चदुवीसेयार दुगठाणे // उदयट्ठाणं दोण्डं पणबंधे होदि दोण्हमेकस्स। चदुविहबंधट्ठाणे सेसेसेयं हवे ठाणं // कर्मकाण्ड गा० 480-82. [बारसपणसहसया उदयविगप्पेहिं मोहिया जीवा / चुलसीई सत्तचरिपयविंदसएहिं विनेया // ] .