________________ (28) दसयचऊ पढमतियं णवतियमडवीसयं णवादिचऊ / अडचदुतिदुइगिवीसं अडचदु पुचं व सतं तु // सग चउ पुव्वं वंसा दुगमडचउरेकवीस तेर तियं / दुगमेकं च य सत्तं पुव्वं वा अस्थि पणगदुगं // तिसु एक्केकं उदओ अडचउरिगिवीससत्तसंजुत्तं / चदुतिदयं तिदयदुगं दो एकं मोहणीयस्स // कर्मकाण्ड गा० 661-64. 18-20 एक्कग छक्केक्कारस दस सत्त चउक्क एकगा चेव / एए चउवीसगया चउवीस दुगेक्कमिक्कारा // नवपंचाणउइसएहुदयविगप्पेहि मोहिया जीवा / अउणत्तरि एगुत्तरि पयविंदसएहि विनेया // नवतेसीयसएहि उदयविगप्पेहि मोहिया जीवा / अउणत्तरिसीयाला पयविंदसएहिं विनेया // एक्कय छक्केयारं दससगचदुरेक्कयं अपुणरुता / एदे चदुवीसगदा बार दुगे पंच एक्कम्मि / / णवसयसत्तत्तरिहिं ठाणवियप्पेहिं मोहिदा जीवा / इगिदालूणत्तरिसयपयडिवियप्पेहिं णायव्वा // कर्मकाण्ड गा० 188-89. 21-22 तिन्नेव य बावीसे इगवीसे अट्ठवीस सत्तरसे। छ च्चेव तेरनवबंधगेसु पंचेच. ठाणाई / / पंचविहचउविहेसु छ छक्क सेसेसु जाण पंचेव / पत्तेयं पत्तेयं चत्तारि य बंधवोच्छेए // बावीसयादिबंधेसुदयंसा चदुतितिगिचऊपंच / तिसु इगि छ हो अट्ठ य एवं पंचेव तिट्ठाणे // कर्मकाण्ड गा० 661. 23. दसनवपन्नरसाइं बंधोदयसंतपयडिठाणाई / भणियाइं मोहणिज्जे इत्तो नामं परं वोच्छं / दसणवपन्नरसाइं बंधोदयसत्तपयडिठाणाणि / भणिदाणि मोहणिज्जे एत्तो नामं परं वोच्छं / कर्मकाण्ड गा० 518.