________________ (26) मिस्से अपुव्वजुगले बिदियं अपमत्तओ ति पढमदुगं / सुहुमादिसु तदियादी बंधोदयसत्तभंगेसु // / कर्मकाण्ड गा० 629. [पंच नव दुन्नि अट्ठावीसा चउरो तहेव पायाला / दुन्नि य पंच य भणिया पयडीओ आणुपुबीए // ] पंच नव दोणि अट्ठावीसं चउरो कमेण तेणउदी। तेउत्तरं सयं वा दुगपणगं उत्तरा होति / / कर्मकाण्ड गा० 22. 6. बंधोदयसंतसा नाणावरणंतराइए पंच / बंधोवरमे वि तहा उदसंता हुंति पंचेव // बंधोदयकम्मंसा णाणावरणंतराइए पंच / बंधोपरमे वि तहा उदयंसा होति पंचेव // __ कर्मकाण्ड गा० 630. 7. बंधस्स य संतस्स य पगइट्ठाणाई तिनि तुल्लाई / उदयट्ठाणाणि दुवे चउपणगं दंसणावरणे / / णव छक्क चदुक्कं च य बिदियावरणस्स बंधठाणाणि / भुजगारप्पदराणि य अवट्ठिदाणि वि य जाणाहि // 459 // खीणो त्ति चारि उदया पंचसु णिद्दासु दोसु णिद्दासु / / एके उदयं पत्ते खीणदुचरिमो ति पंचुदया // 461 // मिच्छादुवसंतो ति य अणियट्टीखवगपढमभागो त्ति / णवसत्ता खीणस्स दुचरिमो ति य छच्चदूवरिमे // 462 // कर्मकाण्ड गा० 459, 461, 462. 8-9. बीयावरणे नवबंधगेसु चउ पंच उदय नव संता / छच्चउबंधे चेवं चउबंधुदए छलंसा य // उवरयबंधे चउ पण नवंस चउरुदय छच्च चउ संता। वेयणियाउयगोए विभञ्ज मोहं परं वोच्छं // बिदियावरणे णवबंधगेसु चदु पंच उदय णव सत्ता / छब्बंधगेसु एवं तह चदुबंधे छडंसा य // उवरदबंधे चदु पंच उदय णव छच्च सत्त चदु जुगलं / तदियं गोदं आउं विभज्ज मोहं परं वोच्छं // कर्मकाण्ड गा० 631-32.