________________ 23. ...नामकम्म चित्तिसमं / / ........चित्त........ कर्मकाण्ड गा० 21. 23. पायालतिणवइविहं तिउत्तरसयं च सत्तट्ठी। ............तेणउदी। तेउत्तरसयं वा........। कर्मकाण्ड गा० 22. 24-29. गाथाः॥ आसां विषयो मूलाचारपर्याप्ताधिकारीयासु 193-96 गाथासु द्रष्टव्यः / 33. बाहूरु पिढि सिर उर उयरंग उवंग अंगुलीपमुहा / सेसा अंगोवंगा पढमतणुतिगस्सुवंगाणि // - णलया बाहू य तहा णियंब पुट्ठी उरो य सीसो य / अटेव दु अंगाई देहे सेसा उवंगाई // कर्मकाण्ड गा० 28. 44-45. रविविबे उ जियंग तावजुयं आयवाउ न उ जलणे / जमुसिणफासस्स तर्हि लोहियवण्णस्स उदउ ति // अणुसिणपयासरूवं जियंगमुजोयए इहुजोया / जइदेवुत्तरविक्किय जोइसखजोयमाइ व // मूलुण्हपहा अग्गी आदावो होदि उण्हसहियपहा / आइच्चे तेरिच्छे उण्हूणपहा हु उज्जोओ // कर्मकाण्ड गा० 33. 51. गोयं दुहुच्चनीयं कुलाल इव सुघड भलाईयं / विग्यं दाणे लामे भोगुवभोगेसु विरिए य॥ उच्चा णिच्चा गोदं दाणं लाभंतराय भोगो य / . परिभोगो विरियं चेव अंतरायं च पंचविहं / मूलाचार पर्या० गा० 197. कर्मकाण्ड गा० 13. 53. पडिणीयत्तणनिन्हवउवधायपओसअंतराएण / अचासायणयाए आवरणदुर्ग जिओ जयइ // पडिणीगमंतराए उवघादो तप्पदोसणिण्हवणे / आवरणदुगं भूयो बंधदि अच्चासणाए वि // कर्मकाण्ड गा० 800.