________________ प्रस्तावना / . सं०१ संज्ञक प्रति ताडपत्रीय छे अने ते सटीक छए कर्मग्रन्थनी छे / तेनां पानां 351 छे अने तेनी लंबाई-पहोळाई 35 // 42 // इंचनी छ / प्रतिनी दरेक पुंठीमां वधारेमा वधारे छ अने ओछामा ओछी चार पंक्तिओ लखाएली छे / एनी लिपि तेम ज स्थिति घणी ज सारी छे अने तेना अंतमां नीचे प्रमाणे उल्लेख छ___ " इति श्रीमलयगिरिविरचिता सप्ततिटीका समाप्ता ॥छ / मन्थाप्रम् 3880 ॥छ॥ संवत् 1462 वर्षे माघ शुदि 6 भोमे अद्येह श्रीपत्तने लिखितम् // छ / शुभं भवतु // ऊकेशवंशसम्भूतः, प्रभूतसुकृतादरः / वासी साण्डउसीमामे, सुश्रेष्ठी महुणाभिधः // 1 // मोघीकृताघसङ्घावा, मोघीरप्रतिघोदया / नानापुण्यक्रियानिष्ठा, जाता तस्य सधर्मिणी // 2 // तयोः पुत्री पवित्राशा, प्रशस्या गुणसम्पदा / हादर्दूरीकृता दोषैर्धर्मकमककर्मठा // 3 // शुद्धसम्यक्त्वमाणिक्यालङ्कतः सुकृतोदयः / / एतस्या भागिनेयोऽभूदाकाकः श्रावकोत्तमः // 4 // श्रीजैनशासननभोऽङ्गणभास्कराणां, श्रीमत्तपागणपयोधिसुधाकराणाम् / विश्वाद्भुतातिशयराशियुगोत्तमानां, श्रीदेव सुन्दरगुरुप्रथिवाभिधानाम् // 5 // पुण्योपदेशमथ पेशलसन्निवेशं, तत्त्वप्रकाशविशदं विनिशम्य सम्यक् / एतत् सुपुस्तकमलेखयदुत्तमाशा, सा श्राविका विपुलबोधसमृद्धिहेतोः // 6 // बाणाङ्गवेदेन्दुमिते 1465 प्रवृत्ते, संवत्सरे विक्रमभूपतीये / श्रीपत्तनाह्वानपुरे वरेण्ये, श्रीज्ञानकोशे निहितं तयेदम् // 7 // यावद् व्योमारविन्दे कनकगिरिमहाकर्णिकाकीर्णमध्ये, विस्तीर्णोदीर्णकाष्ठातुलदलकलिते सर्वदोज्जम्भमाणे / पक्षद्वन्द्वावदातौ वरतरगतितः खेलतो राजहंसौ, तावज्जीयादजस्रं कृतियतिभिरिदं पुस्तकं वाच्यमानम् // 8 // शुभं भवतु // " सं० 2 प्रति पण ताडपत्रीय छे अने ते सटीक पांच कर्मग्रन्थ सुधीनी छ / तेनां पानां 2 थी 306 छे अने पांचमा कर्मग्रन्थनो अंतनो थोडो भाग खूटे छे। प्रतिनी लंबाई-पहोळाई 2242 // इंचनी छे। दरेक पुंठीमा छ के सात लिटिओ छ। प्रतिना देखाव अने लिपिने ध्यानमा लेतां ए चौदमी सदीमां लखाएली लागे छे। एनी स्थिति साधारण छ / उपरोक्त बन्ने य प्रतिओनी पंक्तिओ अव्यवस्थित होवाने लीधे तेनी अक्षरसंख्या