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________________ प्रस्तावना कर्मग्रन्थ द्वितीय विभागर्नु नवीन संस्करण-आ विभागमा तपागच्छीय मान्य आचार्यप्रवर श्रीदेवेन्द्रसरिकृत स्वोपज्ञ टीकायुक्त शतक नामना पांचमा कर्मग्रन्थनो भने आचार्य श्रीमलयगिरिकत टीकायुक्त सिचरि नामना छट्ठा कर्मग्रन्थनो समावेश करवामां आव्यो छे। आ बन्ने य सटीक कर्मग्रन्थोने बीजा विभाग तरीके प्रसिद्धिमा लाववा माटेनो यश वर्षों अगाउ श्रीजैनधर्मप्रसारक समा-भावनगरे प्राप्त कर्यो छे / आजे ए प्रकाशन अलभ्य होवाथी अमे एने बीजी वार प्रकाशमा लाववा प्रयत्न करीए छीए। आ वखतना प्रकाशनमा संशोधनकार्यमाटे प्राचीनतम ताडपत्रीय अने कागळनी प्रतोनो उपयोग करवा उपरांत टीकाकारोए टीकामां उद्धत करेलां प्रमाणोनां स्थळोनी नोंध अने प्राकृत पाठोनी छाया पण आपवामां आवी छ। आदिमां अने अंतमा कर्मपन्थना अभ्यासीओने अतिउपयोगी विषयानुक्रम, परिशिष्ट वगेरे पण आपवामां आव्यां छे, जेनो परिचय आ नीचे कराववामां आवे छ / कर्मग्रन्थनां परिशिष्ट आदि-आ विभागना अंतमा अमे चार परिशिष्ट आप्यां छे। पहेला परिशिष्टमा टीकाकारोए टीकामा उद्धत करेलां आगमिक तेमज शास्त्रीय गद्य-पद्य प्रमाणोनी अकारादि क्रमथी अनुक्रमणिका आपीछे, बीजा-त्रीजा परिशिष्टमां टीकामां आवता प्रन्यो अने प्रन्थकारोनां नामोनी सूची छे अने चोथा परिशिष्टमां पांचमा-छट्ठा कर्मप्रन्थमा तेमज तेनी टीकामां आवता पारिभाषिक शब्दोनो कोष (जेनी व्याख्या आदि मूळ के टीकामां होय ) स्थळनिर्देशपूर्वक आपवामां आव्यो छे। आ उपरांत आ विभागनी शरुआतमां विषयानुक्रमणिका पछी अमे " पदकर्मग्रन्थान्तर्गतविषयतुल्यतानिर्देशकानां दिगम्बरीयशास्त्रमध्यवर्तिनों स्थलानां निर्देशः" ए मथाळा नीचे छए कर्मग्रन्थमा गाथावार आवता विविध विषयो समानपणे के विषमपणे दिगम्बरीय शास्त्रोमां क्या क्यां आवे छे तेने लगती एक अतिमहत्त्वनी नोंध आपी छे / आ विद्वत्तापूर्ण नोंध दिगम्बर जैन विद्वान् न्यायतीर्थ न्यायशास्त्री पं० श्रीमहेन्द्रकुमार महाशये तैयार करी छे / आ नोंध कर्मपन्थना विशिष्ट अभ्यासीओने एक नवीन मार्गर्नु सूचन करे छे। अमे इच्छीए छीए के आ गौरवभर्या संग्रहy कर्मविषयक साहित्यना विशिष्ट अभ्यासीओ ध्यानपूर्वक अवलोकन करे। कर्मग्रन्थने अंगे अमारुं वक्तव्य-श्रीआत्मानन्द-जैनग्रन्थ-रत्नमालाना मुख्य संचालक अने एना प्राणस्वरूप पूज्य गुरुवर श्रीचतुरविजयजी महाराजे स्वसम्पादित कर्मग्रन्थना प्रथम विभागनी प्रस्तावनामां आचार्य श्रीदेवेन्द्रसरि अने तेमना नव्य पांचे
SR No.004335
Book TitlePancham Shataknama evam Saptatikabhidhan Shashtha Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1997
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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