________________ अ० 4, पा० 2, सू० 111-149] चान्द्रव्याकरणम् [41 111 ऊषादिभ्यः रः / पा०५।२।१०७॥ 130 हस्त-दन्तात् जातौ। पा०५।२।१३३। 112 धु-द्रुभ्यां मः / पा० 5 / 2 / 10 / 131 वर्णाद् ब्रह्मचारिणि / 113 केशादिभ्यो वः। ___ पा०५।२।१३४॥ ___पा०५।२।१०६+वा० १+भा०। 132 पुष्करादिभ्यो देशे। पा० 5 / 2 / 135 // 114 मेधा-रथात् इरः। 133 मन्-मात् नाम्नि / पा०५।२।१३७। पा०५।२।१०६ वा० 3 / 134 शिखादिभ्यः वा / पा०५।२।१३६। 115 काण्ड-अण्डात् ईरच् / 135 रूपात् आहत-प्रशस्ययोः यप् / पा०५।२।१११॥ पा०५।२।१२०॥ 116 कृष्यादिभ्यो वलच / / 136 हिमादिभ्यः / पा०५।२।११२। पा०५।२।१२० वा०१॥ 117 ज्योत्स्ना-तमिस्र-ऊर्जस्विन् 137 अस्-माया-मेधा-स्रजो विनिः / ऊर्जस्वल-मलीमसाः। पा०५।२।११४। पा०५।२।१२१॥ 118 नावादिभ्यः ठन् / पा० 5 / 2 / 116 138 आमयावी / ___ भा०। काशिका 5 / 2 / 116 // पा०५।२।१२२ वा०२॥ 116 व्रीह्यादि-अत इनिश्च / 136 वृन्दात् आरकन् / पा०५।२।११६, 115 // पा०५।२।१२२ वा०३। 120 नैकाचः / पा०५।२।११५ वा० 1 // 140 शङ्गात् / पा०५।२।१२२ वा०३। 121 सप्तम्याम् / पा०५।२।११५ भा०। 141 फल-बह-मलाच्च इनच् / 122 एक-गोपूर्वात् ठञ् / पा० 5 / 2 / 118 // पा०५।२।१२२ वा०४। 123 निष्कादेः शत-सहस्रात् / पा०५२०११४॥ पा०५।२।११६। 142 पर्व-मरुद्भयां तप् / ... 124 नवयज्ञादिभ्यः / पा०४।२।३५ पा०५।२।१२२ वा० 10 // वा० // 143 स्वामिन् ईशे / पा०५।२।१२६। 125 चार्थ-रोग-गहितात् प्राणिस्यात् / 144 गोमिन् पूज्ये / पा०५।२।११४॥ ___ अस्वाङ्गात् इनिः / पा०५।२।१२८। 145 वाचो ग्मिनिः / पा०५।२।१२४। काशिका 5 / 2 / 128 // 146 आलच्-आटचौ कुत्सायाम् / 126 वात-अतिसार-पिशाचानां कुक् च / पा०५।२।१२५+भा०। पा०५।२।१२६+भा०। 147 अर्शआदिभ्यः अच् / 127 वयसि पूरणात् / पा० 5 // 2 // 130 / पा०५।२।१२७॥ 128 सुखादिभ्यः / पा० 5 / 2 / 131 // 148 तुण्डि-बलि-वटेर्भः / . 126 धर्म-शील-वर्णान्तात् / पा०५।२।१३६। पा०५।२।१३२॥ 146 कं-शंभ्याम् / पा०५।२।१३८॥