________________ चान्द्रव्याकरणम् [अ० 2, पा० 1, सू० 44-87 44 गति-बोध-आहार-शब्दार्थ- 65 सहार्थेन / पा०२॥३॥१६॥ अनाप्यानां प्रयोज्ये / पा० 1 // 4 // 52 // 66 लक्षणे / पा०२॥३॥२१॥ 45 ह-क्रोर्वा / पा०१।४।५३। 67 संज्ञः व्याप्ये वा / पा०२।३।२२। 46 दृश्-अभिवाद्योः तङाने / 68 हेतौ / पा०२।३।२३। पा०१।४।५३ वा०१। 66 ऋणे पञ्चमी / पा०२।३।२४। 47 न नी-खादि-अदि-ह्वा-शब्दाय-क्रन्दः। 70 गुणे वा / पा०२।३।२५॥ पा०१।४।५२ वा०५,१भा०। 71 षष्ठी हेतुना / पा०२३।२६। 48 वहेः अनियन्तके / 72 सर्वाः सर्वादिभ्यः हेत्वर्थः / पा०२।३।२७+भा०॥ पा०१।४।५२ वा०६। 73 संप्रदाने चतुर्थी / पा०२।३।१३॥ 46 भक्षेः अहिंसायाम् / 74 रुचिमति / पा०१।४।३३। पा०१।४।५२ वा०७॥ . 75 धारेः उत्तमणे / पा० 1 // 4 // 35 // 50 समया-निकषा-हा-धिग्-अन्तरा 76 कोपस्थाने अनाप्ये / . .. अन्तरेणयुक्तात् पा०२।३।२ पा०१।४।३७,३८॥ वा०१+भा०पा०२।३।४। 77 प्रति-अनुम्यां गृणः व्याप्ये / 51 द्वित्वे अध्यादिभिः / पा०१॥४॥४१॥ पा०२।३।२ भा०। 78 नमः-स्वस्ति-स्वाहा-स्वधा-वषट्५२ सर्व-अभि-परि-उभयात् तसा / शक्ताथैः / पा०२।३।१६+वा०२। पा०२।३।२ भा०। 76 तादयें / पा०२।३।१३ वा०१। / 53 एनपा / पा०२॥३॥३१॥ 80 मन्याप्ये कुत्सायाम् अनावादी वा / 54 लक्षण-वीप्सा-इत्थंभूतेषु अभिना। पा०२।३।१७+भा०। पा०१।४।६१,६०,८३। पा०२।३।। 81 अवधेः पञ्चमी / 55 प्रति-परिभ्यां भागे च। पा०१।४।१०। पा०२।३।२८।पा०१।४।२४। 56 अनुना / पा०१।४।१०। 82 परि-अपाभ्यां वर्जने / 57 सहार्थे / पा०१।४।८५॥ . पा०२।३।१०।पा० 1 / 4 / 88 / 58 हीने / पा०१।४।८६। 83 प्रतिना प्रतिनिधि-प्रतिदानयोः / 56 उपेन / पा०१।४।८७। पा०२।३।११। पा०१।४।६२। 60 सप्तमी आधिक्ये / पा०२।३।। 84 ऋते द्वितीया च / पा०२।३।२६। 61 स्वाम्ये अधिना / पा०२।३।। 85 विना तृतीया च / पा०२॥३॥३२॥ पा०१।४।१७। तथा काशिका 2 // 3 // 32 // 62 कर्तरि तृतीया / पा०२।३।१८। 86 पृथग्-नानाभ्याम् / पा०२॥३॥३२॥ 63 करणे / पा०२॥३॥१८॥ 87 स्तोक-अल्प-कृच्छ्र-कतिपयाद् 64 परिक्रियश्चतुर्थी च / पा० 1 / 4 / 44 // असत्त्वार्थात् करणे / पा०२।३।३३।