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________________ पुस्तकें ला-ला कर यह काम कर सका हूँ, अतः इन सब संस्थानों का ऋण मैं अवश्य स्वीकारता हूँ। 'चान्द्र-व्याकरण के कर्ता का समय. इस व्याकरण के कर्ता का नाम आचार्य चन्द्र है, उनका दूसरा नाम चन्द्रगोमी भी है। 'गोमी' शब्द पूज्यता-सूचक है। महान् वैयाकरण भर्तृहरि ने अपने वाक्यपदीय में द्वितीय काण्ड, श्लोक 485 से 460 तक के उल्लेख में व्याकरण-महाभाष्य के विच्छेद का वृत्तान्त और विच्छेद पाए हुए महाभाष्य को चन्द्र प्राचार्य ने सुरक्षित रखा और उसके पठन-पाठन का फिर प्रचार किया, ऐसा भी निर्देश किया है। उससे मालूम होता है कि भर्तृहरिनिर्दिष्ट चन्द्र प्राचार्य यही हैं, जिन्होंने प्रस्तुत चान्द्रव्याकरण का निर्माण किया / अतः जब तक अन्य कोई बाधक प्रमाण न हो तब तक यह मानना अबाधित है कि वाक्यपदीय-. . निर्दिष्ट चन्द्र प्राचार्य यही चन्द्रगोमी हैं और भर्तृहरि के ये पूर्ववर्ती रहे हैं। अन्त में इस कार्य के प्रेरक प्राचार्य श्रीजिनविजयजी का बारम्बार अभिनन्दन करता हुआ इस छोटे से प्रास्ताविक को यहीं पूरा कर रहा हूँ और सुज्ञ पाठकों से नम्र सूचना भी करता हूँ कि इस संस्करण में जहां कहीं अशुद्धि रह गई हो तो शुद्ध कर लेने की कृपा करें और हो सके तो मुझे भी सूचन करने को मेहरबानी करें। १२/व भारती निवास सोसायटी .. अहमदाबाद 6 . ] बेचरवास दोशी . बचरदाता .. . ..
SR No.004292
Book TitleChandravyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1889
Total Pages270
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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