________________ परिशिष्ट एकार्थक (गा. 2519) (जीचू पृ.२८) (गा.८६३) (गा.१०९९) (गा. 1776.) (गा. 234) (जीचू पृ. 4) अग्ग - प्रधान, प्रमुख / अग्ग पहाण त्ति एगट्ठा। आय - 'लाभ। आयो लाभो संपत्ती य एगट्ठा। * आओ लाभो त्ति आगमो यावि। आहाकम्म - आधाकर्म, भोजन का एक दोष। तत्थ इमे णामा खलु, आहाकम्मस्स होंति चत्तारि। आह-अहेकम्मे या, अहयम्मे अत्तकम्मे य॥ गृहण - माया, छिपाना / गृहण गोवण णूमण, पलियंचणमेव एगटुं। घात - विनाश / घात विणासो य एगट्ठा। जीय - आचरणीय। जीयं ति वा करणिज्जं ति वा आयरणिज्ज ति वा एगटुं। जोग - योग, वीर्य। जोगो विरियं थामो, उच्छाह परक्कमो तहा चेट्ठा। सत्ती सामत्थं ति य, जोगस्स हवंति पज्जाया॥ झोसण - छोड़ना। झोसण खवणा मुंचण एगट्ठा। णात - ज्ञात / णातं आगमितं ति य एगटुं। णासयते - ध्वंस करना। णासयते धंसते व त्ति (एगटुं)। णिक्खित्त - स्थापित। णिक्खित्तं ठवितं ति य एगटुं। णियत - नियत, निश्चित। णियतं व णिच्छितं वा (एगट्ठा)। दीपित - प्रकाशित। दीवित पभासिउ त्ति य, पगासितो चेव एगट्ठा। दुद्ध - दूध। दुद्ध पयो वालु खीरं च। धम्म - धर्म, स्वभाव। धम्म सहावो सम्मईसण। धारणववहार - धारणा व्यवहार। उद्धारणा विहारण, संधारण संपहारणा चेव। धारणववहारस्स उ, नामा एगट्ठिता एते॥ पणमन - प्रणाम। पणमणं पणामो पूया इति एगट्ठियं। पतिट्ठा - अवस्था, व्यवस्था। पतिट्ठा ठवणा ठवणी, ववत्था संठिती ठिती। अवत्थाणं अवत्था य, एगट्ठा चिट्ठणा ति य॥ (जीचूपृ.६) (गा. 2278) (गा. 111) (गा.२३७) (गा. 1512) (गा. 234) (गा. 248) (गा.११३२) (गा. 228) (गा.६५५) (जीचू पृ.२) (गा.१९६८)