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________________ तुलनात्मक संदर्भ : परि-३ 643 473 सेलेसि सिद्ध विग्गह तु.नि 3920, | 2436 सो वंदति सेहादि वि बृ५१३५ तु. प्रकी 1293, तु. व्य 4357 | 638 सो ववहारविहिण्णू व्य 4489 596 सेवंतो तु अकिच्चं नि 470 | 569 सो वि अपरक्कमगती तु.व्य 4442 2071 सेसं जह थेराणं पंक 2563 580 सो वि गुरूहिं भणितो व्य 4453 2496 सेसाणं संसटुं बृ५००३ सो सत्तरसो पुढवा... व्य 4135 1500 सेसेहि तु काएहिं तु. पिनि 243/3 | 261 सोहीए य अभावे व्य 4171 2310 सेहो त्ति अगीतत्थो बृ५०६५ / 478 हंदि दु परीसहचमू नि 3925, 1433 सो एसो जस्स गुणा नि 1047, व्य 4362 पिनि 225/1 | 1570 हत्थंदु-णिगलबद्ध पिनि 266 682 सो जह कालादीणं व्य 4537 55 हत्थम्मि मुहुत्तंतो आवनि 31. 669 सो तम्मि चेव दव्वे व्य 4516, नंदी 18/4, विभा 609 670 सो तम्मि चेव दव्वे व्य 4517 / 2373 हत्थाताले हत्थालंबे बृ५१०३ 2087 सो तु परंपरएणं पंक 2579 / 2376 हत्थेण व पादेण व बृ५१०५ 636 सोतूण तस्स पडिसेवणं व्य 4487 | 388 हवेज्ज जदि वाघातो नि 3849, 364 सो दिट्ठो य विगिंचिंतों व्य 4259 / व्य 4281 32 सो पुण ओही दुविधो तु. नंदी 7 | 1632 हिताहारा मिताहारा ओनि 578, 1088 सोलस उग्गमदोसा पिनि 322 | पिनि 313 1487 सोलस उग्गमदोसा पिनि 238/2 | 1103 हिययम्मि समाहेउं पिभा 18 1313. सोलस उग्गमदोसे पिनि 193 | 1353 होमादिऽवितहकरणे नि 4413, पिनि 207/1
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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