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________________ पदानुक्रम : परि-१ 565 495 2514, 98 972 826 938 1537 499 1406 890 वइगुत्तीए साधू वइयादिसु जं अंतो वइरोसभसंघतणा वइरोसहसंघतणो वंजणभेदेण इहं वंजणभेदो भणितो वंदति ण य वंदिज्जति वंदित्तु गतो देवो वग्गुलिपक्खसरिसगं वच्चसि? णाहं वच्चे. वच्चह एगं दव्वं वच्छल्ल असियमुंडो वच्छल्ला वि य दुविधा वटंति अपरितंता .. वट्टति तु समुद्देसो वड्डति हायति छाया वड्डेति तप्पसंगं वणकायअणंतेसुं वणकायऽणंतमीसे वणकायपरित्तेणं वणिमगपिंडो भणितो वतलोवों सरीरे वा वत्तणुवत्तपवत्तो वत्तो णामं एक्कसि वत्थु पुण परवादी वयछक्कं कायछक्कं वयछक्ककायछक्कं वयणे वि पुव्व दुविधो वरणेवत्थं एगे वरिसाण बारसण्हं ववहारे पंचसु वी ववहारो आरोवण 791 | वसभो वा ठाविज्जति 518 | वसहि-णिवेसण-वाडग 2162 | वसही गुरुमूला वा 2549 / वसुदेव अण्णजम्मे 1011 / वाइय-पित्तिय-सिंभिय 1013 | वाउक्खित्ताणंतर वाघाति आणुपुव्वी 860 वाघातेण पविट्ठो 2167 वादपरायणकुवितो 888 वायणभेदा चतुरो 900 वायाम-वग्गणादी 610 वाल-ऽच्छभल्लविसगत 1048 | वालुंक-वडग-वाइंग... वालेण गोणसाइण | वावारिततेण्णेतं 1170 | वावारिता गुरूहिं 1187 / वाविता लूया मलिता 1544 वासउदुअहालंदे 1716 वासं बारसवासा 1709 वासावासपमाणं 1384 वासासु अहालहुसो 2524 वासासु चउम्मासो वासासु विसेसेणं वासे बहुजणजोग्गं विकहादिपमादेणं विक्खेवणविणएसो विगति अणट्ठा भुंजति 1424 विगतीकताणुबंधे 2462 विगलिंदऽणंतघट्टण. 2584 विगहा-किड्डादीहिं 698 विच्चुत पडितं भण्णति 1844 विच्छिण्णमडंबादी 2574 179 590 500 1614 501 2318 2316 1158 2082 92 2078 1908 2083 202 200 1744 233 1034 448 676 154 684 - 965 1732 936
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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