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________________ 562 जीतकल्प सभाष्य . 1453 2100 98 . 1936 84 भत्तं लेवकडं वा भत्तम्मि भणितमेतं भत्ते पण्णवण णिगू.... भत्ते पाणे सयणासणे भद्दगं भद्दगं भोच्चा भद्दो अम्ह सपक्खो भरहम्मि अद्धमासो भरहेरवयवासेसु भावं पडुच्च अहिगं भावतों उज्जुमती ऊ भावतो ओहिण्णाणी भावतो चेव जे भावा भावसिती अहिगारो भावे अरत्तदुट्ठो भावे केवलणाणं भावे तु आयकीतं भावे पसत्थ इतरा भावे पुण पुच्छिज्जति भावे मणोगिहगते भावे हट्ठगिलाणं भावो च्चिय एत्थं तू भासासमितो साहू भिक्खणसीला भिक्खू भिक्ख पविट्ठो य तओ भिक्ख-वियारसमत्थो भिक्खादिगतं संतं भिक्खादिगतो तं तू भिक्खादी वच्चंते भिक्खुम्मी अणभिगते भिक्खुस्स तु पुरिमड़े भिक्खू गीताऽगीता भिक्खूमादी संखडि 2065 भिक्खे परिहायंते 2333 | भिण्णं पि मासकप्पं 2339 भिण्णग्गहणं खलु कालतो . 19 भिण्णो अविसिट्ठो च्चिय 1778 भीतो पलायमाणो 1356 भुंजंति चित्तकम्मट्टित ___56 भुंजण-घुसुलेंतीए 2113 भुंजति चक्की भोगे | भुंजसु पच्चक्खाणं | भुत्तभोगी पुरा जो तु | भोत्तव्व कारणम्मी 95 भोयण सुत्ते अत्थे 340 मउओ वि छेद मूले 1306 | मंगलहेतुं पुण्णट्ठया 106 मंतम्मि उदाहरणं 1243 मंतेणं अभिमंतिय 1317 मंस-वस-सोणियाऽऽसव 399 / | मग्गों अंतगतो ऊ . | मच्छत्थाणी साहू 1946 मज्जण-गंधं पुप्फोवकार... 402 मज्झगतंऽतगतस्स य 820 मज्झिमउक्कोसो या .. 2299 मज्झिमजहण्णगं तू 1415 मज्झिमाण न संती तु 325 मणगुत्तीए तहियं 1386 मणदुक्कडमुप्पण्णं 2356 मणपज्जवणाणं पुण मतिसंपद चउभेदा 2237 मत्तेण जेण दाहिति 1061 मयमातिवच्छगं पिव 2204 मरणभएणऽभिभूते 2352 मरणभयं सत्तमगं 137 1368 1579 269 -887 431 1656 1029 1791 .1236 1444 1446 1504 80 1606 547 86 1852 1906 2114 787 790 1327 1558 1365 2394 922
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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