________________ 543 398 1343 304 2266 1146 2415 2330 1033 1451 805 पदानुक्रम : परि-१ कक्कोलग सेवंते कज्जाऽकज्ज जताऽजत कडगादिअत्थदाणं कडजोगी गीतत्थो कडनिहिताण लक्खण.... कणग-रययादियाणं कतकरण अकतकरणा कतकरणउवज्झाए कतरिं दिसिं गमिस्ससि कतिहिं ठिता अठिता वा कत्तरिपयोयणट्ठा कत्तो अत्थो अम्हं? कद्दममक्खित पुढवी कद्दममक्खितमीसे कप्पट्ठितमादीणं कप्पट्ठिता परिणता .. कप्पट्टितो अहं ते कप्पट्ठियादयो वि य कप्प-व्ववहाराणं कप्पस्स य णिज्जुत्तिं कप्पादीए तिण्णि वि कप्पेण उ सेवाए.. कप्पो संथारो वा कम्मं तु संकिलिटुं कम्ममसंखेज्जभवं कम्मुद्देसिय-मीसे कम्मेहिंतो य भवं कम्ही वा भणितं ती कयपवयणप्पणामो करणं तु अण्णमण्णे करण-भएसु तु संका करणिज्जा जे जोगा 1765 कलमोयणो य पयसा 2211 | कल्लं चिय एति त्ती 1408 कल्लाणगमावण्णे 960 कसाय विकहा वियडे 1159 कस्स त्ति जहुद्दिटुं 1316 कह पुण आदेसेणं 2200 कह पुण हवेज्ज णातं 2213, 2220 | कह भंगो सव्वम्मी 898 कहयंति चुण्णजोगा 1972 | कह समितीसु पमादं 1360 कह होती भइयव्वो 2399 | कहेहि सव्वं जो वुत्तो 1705/ काइगगुत्ताहरणं 1493 काइयऽसमाहि परिट्ठावणे 2195 काउस्सग्गमकाउं 1967 काएणं संघट्टण 2439 का पुण भयणा एत्थं? 71 कामं परपरितावो 2607 कामं सयं न कुव्वति 563,564 काय-वइ-मणा तिण्णि उ 2608 काया वया य ते च्चिय 2272 कायोवचितो बलवं 875 कारणमकारणं वा 1781 कारणमादिपदा तू 454-57 कारणविणिग्गतेणं कारणविणिग्गयस्स य 1617 कालं ठावितु दिक्खे 1799 कालतों अणवठ्ठप्पो 1 कालतों उज्जुमती तू 2538 कालतों ओहिण्णाणी 599| कालद्धाणाऽतिच्छिय.... 5. कालद्धाणातीए 2189 145 323 856 1035 868 2414 2380 1126 1102 2470 462 2210 2430 769 37 2281 2426 82 50 17 49