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________________ पाठ-संपादन-जी-६७ 195 1889. लहुसतरा गिम्हेसुं, मज्झुक्कोसेण देज आयामं। मज्झिममज्झक्कासण, मज्झजहण्णेण पुरिमहुँ / 1890. अहलहुसग वासासुं, जहण्णमुक्कोस देज्जऽभत्तटुं। मज्झिमगं आयामं, भत्तेक्कं दुहजहण्णेणं // 1891. अहलहुसग सिसिरासुं, जहण्णमुक्कोस देज आयामं। जहण्णमज्झेक्कासण, जहणजहण्णेण पुरिम९ // 1892. अहलहुसग गिम्हासुं, जहण्णमुक्कोस देज्ज भत्तेक्कं / मज्झिमगं पुरिमटुं, दुहयो जहण्णेण णिव्विगति // 1893. एतेहिं ठाणेहिं, आवत्तीओ सदा.... णियमा / वोढव्वा सव्वाओ, असहुस्सेक्केक्कहासणया॥ 1894. जाव ठितं. एक्केक्कं, तं पि य हावेज्ज असहुणो ताहे। दाउं सट्ठाणेवं, परठाणं देज्ज एमेव // 1895. एवं ठाणे - ठाणे, हेट्ठाहुत्तो कमेण हासेत्ता। णेतव्वं जाव ठितं, णियमा णिव्वीगिय एक्कं // 1896. णवविहववहारेसो, आवत्तीदाणसहितकालजुतो। बुद्धीओ विण्णेओ, विभागतो एसमक्खातो॥ 1897. अहव तिमो लहुसादी, तिविधादि समास वित्थरे वोच्छं। हीणो मज्झुक्कोसो, तिविधेसो होति णातव्वो। 1898. लहुसगपक्खे पणगं, दस पण्णर तिविध एय णातव्वं / वीसा य भिण्णमासो, लहुमासो तिविध लहुपक्खे // 1899. गुरुमासो चतुमासो, छम्मासो चेव एस गुरुपक्खे। णवविहआवत्तेसा, दाणं णवहा तिमं वोच्छं / 1900. णिव्विगतिय पुरिमटुं, एक्कासण लहुसगे य दाणं ति। आयाम चतुत्थं 'वा, छटुं" तू लहुगपक्खम्मि / / 1. इस गाथा के बाद प्रतियों में 'लहुसतरपक्खे' का 4. गाथा के दूसरे चरण में छंदभंग है। यहां कुछ पाठ का उल्लेख है। लोप हो गया है, ऐसा संभव लगता है। 2. इस गाथा के बाद प्रतियों में 'अहालहसपक्खे' का ५.णिव्विगिय (पा, ब,ला)। उल्लेख है। 6. एसु (पा, ब, ला)। 3. प्रतियों में 'ठाणेहिं' दो बार लिखा हुआ है। 7.x (ला)।
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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