________________ पाठ-संपादन-जी-२१-२३ 111 989. गाहद्ध पढम कंठं, पाणवहे सुमिणदंसणे रातो। कतकारितादिगेसुं, विसोहि ऊसास सतमेगं // 990. एव मुसावादादिसु, उस्सग्गो जाव होति णिसिभत्तं / सतमुस्सासाण भवे, अट्ठसतं पुण चउत्थम्मि / देसिय' राइय पक्खिय, 'चाउम्मास वरिसे सुपरिमाणं। सतमद्धं तिणि सता, पंच 'सतऽद्भुत्तर" सहस्सं॥२१॥ 991. देसियमादिपदाणं, कमसो ऊसासमाणमेतं तु। ते पुण कह विण्णेया, उस्सासा? तमिहवोच्छामि // 992. लोगस्सुज्जोयगरा, चउरो एगं सतं मुणेतव्वं / पंचासा दोहि भवे, तिण्णि सता होंति बारसहि // 993. पंच सता वीसाए, अट्ठसहस्सं च होति चत्ताए। देसियमाउस्सग्गे, होई एतं तु परिमाणं // 994. पणुवीस अद्धतेरस, सिलोग पण्णत्तरिं च बोधव्वा। सतमेगं पणवीस', दो बावण्णा य वरिसेणं // उद्देस समुद्देसे, सत्तावीसं 'तहेवऽणुण्णाए"। अट्ठेव य ऊसासा', 'पठ्ठवणा-पडिकमणमादी० // 22 // 995. उद्देसग अज्झयणे, सुतखंधे चेव होति अंगे य। उद्दिसणादिपदाणं, सत्तावीसं तु उस्सासा / / 996. पट्ठवणपडिक्कमणे, अट्ठस्सासा तु होति उस्सग्गो। आदिग्गहणेणं पुण, पट्ठवयंते वि अणुओगो' / 997. कालपडिक्कमणे वि य, अवसउणे चेव होति सव्वत्थ। उस्सासा अट्ठ भवे, काउस्सग्गो मुणेतव्वो॥ उद्देसग अज्झयणे, सुतखंधंगेसु कमसों पमादिस्स। कालाइक्कमणादिसु, णाणायाराइयारेसु // 23 // 1. देवसिय (ला)। 7. पणु (ब)। 2. मासे तहेव वरिसे य (पा, ब, मु)। 8. तहा अणु (व्य 114), अणुण्णवणियाए (ला)। 3. सत अट्ट (ब)। 9. उस्सासा (पा, ब, ला)। 4. तहिं मिह (ला)। 10. 'वण पडिक्क (मु, ता, ब)। 5. बारस उ (ता)। 11. 'ओगं (पा, ब, ला, मु)। 6. होइ (ता, पा, ब, ला)।