________________ 94 जीतकल्प सभाष्य .. 809. गहणं आदाणं ती, होति णिसद्दो तहाऽहिगत्थम्मि। खिव पेरणे व भणितो, अहिउक्खेवो तु णिक्खेवो॥ 810. ण वि पेहे ण पमज्जे, ण' वि पेह पमज्जती तु बितिभंगो। पेहे ण पमज्ज ततिओं, पेह पमज्जे चतुत्थो तु॥ 811. जो सो चउत्थभंगो, पेहेति' पमज्जती य तस्स पुणो। भंगा भवंति चउरो, दुपेहदुपमज्जणे पढमो॥ 812. बितिओ दुपेहसुपमज्जणम्मि ततिओ सुपेहदुपमज्जे / सुपडिल्लेहियसुपमज्जितम्मि भंगो चउत्थेसो॥ 813. आदिमभंगा तिण्णि इ, अपेहअपमज्जणे य पढमादी। तिण्णि दुपेहादी वि य, छन्भंगा होंति एते तु // उच्चारे पासवणे, खेले सिंघाणमादियाणं च। परिठवणे एत्थं पि हु, पमादिणो होति छन्भंगा / / 815. परिठवणुच्चारादी, उच्चरती तेण होति उच्चारो। पस्सवति त्ति य तेणं, पासवणं भण्णते काई॥ 816. अहवुच्चरती काइय, पायं सवती य पासवणसण्णा। खे ललणाओ खेलो, ‘णासिगलाणाओ सिंघाणो" // 817. एस पमादो भणितो, पंचसु समितीसु इरियमादीसु। ___ अहुण पसंगेणं चिय, वोच्छामि इ' अप्पमादं तु॥ 818. जुगमेत्ततरदिट्ठी, पदं पदं नसति चक्खुपूतं च। अव्वक्खित्तायुत्तो, अरहण्णग एत्थुदाहरणं // 819. अह अरहण्णगसाधू, समितो असमीय गड्ड डेवंतो। छलिओ पादो छिण्णो, अण्णाए संठिओ यावि // 820. भासासमितो साहू, भिक्खट्ठा णगररोहए कोयी। णिग्गंतु बाहिकडए, हिंडंतो केणई पुट्ठो / १.णे (पा, ब, ला)। 2. पेहिति (पा, ला)। 3. गलणाओ सिंघाडो (ब)। 4. ई (ता, ब)। 5. मसति (ता, पा)। ६.संधिओ (मु)। 7. कथा के विस्तार हेतु देखें परि. 2, कंथा सं. 24 /