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________________ संकेत-सूची अंगु - अंगुत्तरनिकाय। गौतम - गौतमधर्मसूत्र। अनध - अनगारधर्मामृत। जी - जीतकल्पसूत्र। अनुद्वा - अनुयोगद्वार। जीचू - जीतकल्प चूर्णि। अनुद्वाचू - अनुयोगद्वार चूर्णि। जीचूवि - जीतकल्पचूर्णि विषमपद व्याख्या। अभिधान - अभिधान चिंतामणि नाममाला। जीभा - जीतकल्प भाष्य। अमर - अमरकोश। जीसू - जीतकल्प सूत्र। आ - आचारांग। जैन बौद्ध - जैन बौद्ध और गीता के आचार दर्शन आप्टे - संस्कृत हिन्दी शब्द कोश। का तुलनात्मक अध्ययन / आव - आवश्यक सूत्र। ज्ञा - ज्ञाताधर्मकथा। आवचू - आवश्यक चूर्णि। त - तत्त्वार्थसूत्र। आवनि - आवश्यक नियुक्ति। तभाटी - तत्त्वार्थ भाष्यानुसारिणी टीका। आवहाटी - आवश्यक हारिभद्रीया टीका। तवा - तत्त्वार्थ राजवार्तिक। ओनि - ओघनियुक्ति। तश्रुतटी - तत्त्वार्थ श्रुतसागरीया टीका। ओभा - ओघनियुक्ति भाष्य। तस्वोभा - तत्त्वार्थ स्वोपज्ञ भाष्य। उ - उत्तराध्ययन। तु - तुलना। उनि - उत्तराध्ययन नियुक्ति। दशअचू - दशवैकालिक अगस्त्यसिंह चूर्णि। उपा - उपासकदशा। दशचू - दशवैकालिक चूलिका। उशांटी - उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका। दशनि - दशवैकालिक नियुक्ति। कपा - कषाय पाहुड। दश्रुचू - दशाश्रुतस्कंध चूर्णि। कसू - कल्पसूत्र (बृहत्कल्प)। देशी - देशी नाममाला। काअ - कार्तिकेय अनुप्रेक्षा। द्र - द्रष्टव्य। काअटी - कार्तिकेय अनुप्रेक्षा टीका। नंदीहाटी - नंदी हारिभद्रीया टीका। कौ - कौटिलीय अर्थशास्त्र। नि' - निशीथ भाष्य। गण - गणधरवाद। निर - निरयावलिका। गोक - गोम्मटसार कर्मकाण्ड। निचू - निशीथ चूर्णि। गोजी - गोम्मटसार जीवकाण्ड। निपीचू - निशीथ पीठिका भूमिका। 1. गाथाओं के पाठ-संपादन में निशीथभाष्य के लिए निभा के स्थान पर 'नि' संकेत का प्रयोग किया है। इसी प्रकार बभा के स्थान पर 'ब', पंकभा के स्थान पर 'पंक' तथा व्यभा के स्थान पर 'व्य' संकेत का प्रयोग किया है।
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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