________________ वनस्पति विज्ञान (4) जीर्णज्वर-कटेरी और पित्त पापड़ा का अष्टमांश काथ पीने से नष्ट होता है। . (5) मूत्रकृच्छ और मूत्रावरोध पर-कटेरी के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए। (6) श्वास-कटेरी, जीरा और आमला का चूर्ण शहद के साथ चाटने से नष्ट होता है। (7) कुत्ता का विष-कटेरी के रस में घी मिलाकर पीने से नष्ट होता है। (8) गर्भाधान के लिए-श्वेत कंटकारी का पुष्प, पुष्य नक्षत्र रविवार के दिन लाकर गर्भवती को स्नान कराकर चौथे दिन उसके रस का नस्य देना चाहिए। अथवा पुष्प को दूध के साथ पीसकर पिलाने के बाद गर्भाधान करने से अवश्य गर्भ रहता है / (8) दाँत के कीड़े-कटेरी के फल को आग में जलाकर उसका धुआँ लेने से निकल जाते हैं और दाँत का दर्द बन्द हो जाता है। (10) कफ, न्यूमोनियाँ और दमा में नीले फूलवाली कटेरी का काथ, पुटपाक और पंचांग का चूर्ण, पीपर का चूर्ण और शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। (11) बालकों की खाँसी-कटेरी का फूल दूध के साथ पीसकर पिलाने से नष्ट होती है /