________________ वनस्पति-विज्ञान 240 गुण-जीवन्ती मधुरा शीता रक्तपित्तानिलापहा / क्षयदाहज्वरान्हन्ति कफवीर्यविवद्धिनी ॥-रा० नि० जीवन्ती-मधुर, शीतल तथा रक्तपित्त, वायु, क्षय, दाह और ज्वरनाशक; एवं कफ और वीर्य को बढ़ानेवाली है। गुण-एवमेव बृहत्पूर्वा रसवीर्यबलान्विता / भूतविद्रावणी ज्ञेया वेगाद्सनियामका ॥-रा०नि० बड़ी जीवन्ती-रस, वीर्य और बल में जीवन्ती के समान ही है। किन्तु विशेष करके यह भूतविद्रावक और पारद को बाँधनेवाली है। गुण-तिक्तजीवन्तिका वातकफाजीर्णज्वरापहा / शोफनी विषहंत्री च लेपादाखुविषापहा ॥–शा० नि० तिक्त जीवन्ती-वात, कफ, जीर्णज्वर, शोथ और विषनाशक है / किन्तु लेप करने से मूसा का विष भी नष्ट करती है। गुण-स्वर्णजीवन्तिका वृष्या चक्षुष्या मधुरा तथा / शिशिरा वातपित्तासृग्दाहजिबलवर्द्धिनी ॥-रा० नि० स्वर्ण जीवन्ती-वृष्य, चक्षुष्य, मधुर, शीतल तथा वात, पित्त, रक्तविकार और दाहनाशक एवं बलवर्द्धक है। विशेष उपयोग (1) प्रमेह में-जीवन्ती का चूर्ण दूध के साथ लेना चाहिए। (2) ज्वर में-जीवन्ती और कालीमिर्च पीसकर पीएँ। (3) शोथ पर-जीवन्ती पीस और गरमकर लेप करें।