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________________ हड़जोड़ सं० अस्थिसंहारी, हि० हड़जोड़, ब० हाड़भांगा, म० कांडबेल, तै० नालेह, और लै० विटिज़क्रोड्रेन ग्युलोरिज-Vitisquodron Gularis. विशेष विवरण-इसकी लता थूहर के जाति की होती है। : इसमें चार-छः अँगुल पर गाँठे होती हैं / यह दुधारा, विधारा और चौधारा जाति का होता है / इममें से एक हडसंहारी जाति भी होती है / कांडबेल में भिन्न-भिन्न भाग में कांड होती है / इसीलिए इसे कांडवल्ली कहते हैं / यह शंकल के समान होती है। इसीलिए इसे हड़शंकटी भी कहते हैं। पहले इसके लगाने की विशेष प्रथा थी। गुण-वज्रवल्ली सरा रूक्षा कृमिदुर्नामनाशिनी / दीपन्युष्णा विपाकेम्ला स्वाद्वी वृष्या बलप्रदा // अर्शसांतु विशेषण हिता चैवाग्निदीपनी / चतुर्धारा काण्डवल्ली भूतोप्रदवशूलहा // अत्युष्णाध्मानवातांश्च तिमिरं वातरक्तकम् / अपसारं वातरोग नाशयेदिति कीर्तितम् // विधारा काण्डवल्ली तु सरालध्ध्यग्निदीपनी / रूक्षोष्णा मधुरा वातकृम्पर्शः कफनाशिनी ॥–नि० र० दुधारा हड़जोड़-सारक, रूखा; कृमि और अर्शनाशक दीपक, उष्ण, पाक में अम्ल, स्वादिष्ट, वृष्य, बलप्रद, विशेष करके
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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