________________ वनस्पति-विज्ञान 188 (12) उर्द्धवात पर-सफेदगुंजा की जड़ घिसकर लगाना चाहिए। (13) रतौंधी में-गुंजा की जड़ बकरा के मूत्र के साथ घिसकर अंजन करना चाहिए। कौंच सं० कपिकच्छु, हि० कौंच, ब० आल्कुशि, म० कुहिलींचेबीज, गु० कउचों, क० नसुगुन्नी, ता. पुनाइक, तै० पिल्लिअडुगु, अॅ० कोहेज-Cowhage, और लै० म्युकुडा पुरियेसMuctda Pruriens. . विशेष विवरण-कौंच की लता होती है। इसके फूल सेम के फूल के समान होते है तथा फल भी सेम के समान ही होते हैं। फलों के ऊपर सूक्ष्म रोओं होता है। यही रोओं जिस समय शरीर में लग जाता है, उस समय बड़ा कष्ट होता है / उससे छुटकारा पाने का एक यही उपाय है कि जौ के आटा का उबटन किया जाय / अन्यथा खुजाते-खुजाते बदन लाल होकर फूल जाता है। इन फलियों के भीतर से सेम-जैसा ही बीज निकलता है। यह बीज बड़ा पुष्टिकारक और वीर्यवर्द्धक होता है / यह दो प्रकार का होता है / छोटे कौंच का भी पेड़ होता है / गुण-कपिकच्छुः स्वादुरसा वृष्या वातक्षयापहा / शीतपित्तास्त्रहंत्री च विकृता गुणनाशिनी ॥-रा०नि०