________________ वनस्पति-विज्ञान 164 (8) प्रदर में-असगंध का चूर्ण और मिश्री एक तोला प्रातःकाल दूध के साथ सेवन करना चाहिए। (10) वीर्यवृद्धि के लिए-असगंध का चूर्ण और मिश्री मिलाकर प्रतिदिन दोनों समय दूध के साथ सेवन करना चाहिए। (11) प्रमेह में-असगंध का चूर्ण, आँवला का रस और शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। (12) धातुक्षय में-असगंध, मिश्री, घी, शहद और छोटी पीपर एक साथ पीसकर चाटना चाहिए / दूध और चावल खाना चाहिए। (13) दूध की वृद्धि के लिए-असगंध, विदारीकंद और मुलेठी का काढ़ा बनाकर, गाय का दूध मिलाकर पीएँ / (14) शोथ और व्रण पर-असगंध की ताजी जड़ गोमूत्र के साथ पीसकर तथा गरम करके लेप करना चाहिए। (15) वायु में-असगंध का चूर्ण, गुरिच के रस में पीएँ। (16) पशुओं के विष पर-असगंध की ताजी जड़ पानी के साथ पीसकर पीना चाहिए। (17) उरुस्तम्भ में-असगंध पीस, गरम कर लेप करें। (18) वातविकार में असगंध और सतावर का चूर्ण, घी और शहद की विषममात्रा के साथ मिलाकर सेवन करें। (16) आधाशीशी में-असगंध पीसकर लेप करें।