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________________ वनस्पति-विज्ञान 114 विशेष विवरण-इसका वृक्ष होता है / पत्ते छोटे-छोटे होते हैं / इसके नीचे कंद होता है / इसके पत्तों और डंठों को सूंघने से छींक आती है। इसका पेड़ बहुत छोटा होता है। कोंकण में यह अधिक होती है। यों तो इसके पेड़ सभी जगह पाए जाते हैं / गुण-छिक्कनी कटुका रुक्षा तीक्ष्णोष्णा वह्निपित्तकृत् / ____वातरक्तहरी कुष्ठकृमिवातकफापहा ॥--भा० प्र० नकछिकनी-कड़वी, रूखी, तीक्ष्ण, उष्ण, अमिवद्धक, पित्तकारक तथा वातरक्त, कुष्ठ, कृमि, वात और कफ नाशक है / विशेष उपयोग (1) सिर-दर्द-नकछिकनी के पत्ते या बीज का रस नाक में छोड़ने अथवा बीज को सूंघने से छींक आती है और सिर का भारीपन तथा दर्द नष्ट हो जाता है / किन्तु थोड़ी देर बाद घी का नस्य लेना चाहिए। (2) मासिकधर्म के लिए-नकछिकनी के पत्ते के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सात दिनों तक पीना तथा इसके पत्ते को तेल के साथ बारीक पीसकर मासिकधर्म के समय तीन दिनों तक गोली बनाकर गुप्तांग में रखना चाहिए। (3) गुल्म और रूतवात में-नकछिकनी के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। (4) दाँत दर्द पर-नकछिकनी के पत्ते का चूर्ण मलें।
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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