________________ वनस्पति-विज्ञान . 110 (2) आँत उतरने पर-लज्जावती की पत्तियाँ पीसकर और गरम करके बाँधना चाहिए। (3) स्त्री का गुप्तांग बाहर निकल आने परलज्जावती की पत्ती पीसकर अथवा जड़ घिसकर हाथ में लगाकर * उसे भीतर कर देना चाहिए। (4) आँख की फूली पर-लज्जावती का रस और अश्वमूत्र एक में मिलाकर अंजन देना चाहिए। (5) वमन में लज्जावती के जड़ का चूर्ण शहद के साथ चाटना चाहिए। कनेर . सं० करवीर, हि० कनेर, ब० करवी, म० कराहेर, गु० कणेर, क० वाकणलिंगे, तै० कानेरचेटु, अ० सुमुल, फा० खरजेहरा, अँ० स्वीटसेन्टेड ओलियन्डर-Sweet Scented Oleonder, और लै० नीरीयं प्राडोरन्-Nirium odorum. विशेष विवरण-यह सफेद, लाल, गुलाबी, पीला और काला रंग-भेद से पाँच प्रकार का होता है / इसका वृक्ष सर्वत्र प्रसिद्ध है / यह पाँच फिट से लेकर दस फिट तक ऊँचा होता है। सफेद फूलवाला कनेर औषध के काम में विशेष रूप से आता है। इसकी जड़ विषाक्त होती है। इसका पत्ता लम्बा होता है / कहा जाता है कि इसके पास सर्प नहीं जाते।