________________ वनस्पति विज्ञान (8) शोथ पर-गूलर, बड़, पीपल, पाकर और तुन की छाल घिसकर और घी छोड़कर लेप करना चाहिए। __(8) आमातीसार में गूलर का दूध चार-पाँच बूंद बताशे में छोड़ कर खाना चाहिए। इससे आम और रक्त गिरना बन्द हो जाता है। (10) रक्तातीसार में गूलर की जड़ का पानी पीएँ / (11) पथरी पर-गूलर की जड़ का रस पाँच तोले, चीनी मिलाकर पीना चाहिए तथा गूलर की जड़ गाय के दूध में घिसकर लिंगेंद्रिय पर लेप करना चाहिए / (12) गरमी में-पका गूलर जिसमें कीड़ा न पड़ा हो, मिश्री भरकर प्रति दिन प्रातः काल खाना चाहिए / (13) सब प्रकार के उपदंश और प्रमेह पर-गूलर के पेड़ की जड़ मिट्टी से निकाल और साफ करके उसमें थोड़ा छेद कर दें और उसके नीचे बर्तन रख दें। चार पहर तक उसका जल एकत्र कर बोतल में भरकर रख दें। शक्ति के अनुसार जीरा का चूर्ण और मिश्री मिलाकर पीना चाहिए / (14) बालकों को शीतला की गरमी में -गूलर का रस मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए। (15) गरमी से जीभ के काँटों पर-गूनर की गोंद और मिश्री पीना चाहिए।