________________ वनस्पति-विज्ञान ___92 (11) खाँसी में-थूहर जलाकर उसकी राख पान के वीड़े में रखकर खानी चाहिए / धतूरा सं० कनक, हि० धतूरा, ब० धुतुरा, म० धोतरा, गु० धंतुरो, क० मदकुणिके, ता० उमतताई, तै० उम्मेतचेटु, अ० जोजमासील जोजनसी तातूरा, अँ. थोर्न एप्पल स्ट्रामोनियं-Thorm Apple Stramonium,और लै० डी० फेस्टुओसा-D. Fastuosa. विशेष विवरण-इसकी झाड़ दो हाथ के लगभग ऊँची होती है / फूलों के भेद से काला, नीला, पीला, सफेद और लाल पाँच प्रकार का होता है। यह प्रायः जंगलों में पाया जाता है / काले और सुनहले फूलों का धतूरा बगीचों में होता है / पत्ते मझोले और फूल घंटी के आकार के होते हैं / फूल का रंग बीच में सफेद तथा ऊपर जो जिस जाति का होता है, उसका वही रंग पाया जाता है / फल गोल काँटेदार और हरे रंग का होता है। इसके भीतर बहुत बीज होते हैं। जिस धतूरे का सर्वाग अत्यधिक काला होता है / वह अधिक विषाक्त होता है / किन्तु उसका गुण अधिक है / फल सूखने पर कड़ा हो जाता है / इसके बीज में विष अधिक होता है / इन बीजों के खाने से मृत्यु तक हो सकती है। स्तम्भन आदि की औषधियों में यह विशेष काम आता है।