________________ गणिविद्या प्रकीर्णक एवं उसका अन्य प्राचीन ग्रन्थों में स्थान : 191 >> सन्दर्भ-सूची विधिमार्गप्रपा, पृ० 55 (अ) आगम और त्रिपिटक-एक अनुशीलन-पृ०४८४ (ब) जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा-पृ० 388 (अ) नन्दीसूत्र - 51 (ब) अनुयोगद्वारसूत्र, ग्रन्यांक - 1 (स) पाक्षिकसूत्र, पृ० 76 नन्दीसूत्रचूर्णि - प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद-पृ० 58 नन्दीसूतम्-प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद-पृ० 71 गणिविद्या प्रकीर्णक - गाथा 4 से 10 वही, गाथा - 15 वही, गाथा - 42-46 वही, गाथा - 47-58 वही, गाथा : 56-58 वही, गाथा - 59-64 वही, गाथा - 64-72 वही, गाथा - 76-82 वही, गाथा * 83-85 जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति - मुनिमधुकर - सूत्र 185, पृ० 355-356 तिलोयपण्णत्ति, 4/288 17. .. धवला, 3-4 / पृ० 67, 318 जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति - पृ० 355 19. व्रततिधिनिर्णय - पृ०७२ आरम्भसिद्धि - पृ० 4 21. . ज्योतिषचन्द्रार्क - पृ० 5 22. सुगमज्योतिष - पृ० 85 23. व्रततिधिनिर्णय - पृ० 154-157 . 13. 18. * शोधाधिकारी आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, पद्मिनी मार्ग, उदयपुर