________________ प्रकीर्णक और शौरसेनी आगम साहित्य : 151 जुत्तो पमाणरइओ उभओकालपडिलेहणासद्धो / विहिविहिओ संथारो आरूहियव्वो तिगुत्तेणं / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 396 ) जुत्तो पमाणरइओ उभयकाळपडिलेहणासुद्धो / विधिविहिदो संथारो आरोहव्वो तिगुत्तेण / / . ( भगवती आराधना, गाथा 648) पियधम्मा दढधम्मा संविग्गा वज्जभीरूणो धीरा / छंदण्णू पच्चइया पच्चक्खाणम्मि य विहिण्ण / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 397 ) पियधम्मा दढधम्मा संविग्गावज्जभीरूणो धीरा / छंदण्हू णच्चइया पच्चक्खाणम्मि य विदण्हू / / - (भगवती आराधना, गाथा 650) जुत्तस्स तवधुराए अब्भूज्जयमरणधेणुसीसम्मि / तह ते कहिँति धीरा जह सो आराहओ होइ / / . ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 402) जुत्तस्स, तवधुराए अब्भुज्जदमरणवेणुसीसम्मि / तह ते काहिंति धीरा जह सो आराधउ होदि / / ( भगवती आराधना, गाथा 664 ) * चत्तारि जणा पाणयमुवकप्पंति अगिलाइपाउग्गं / चत्तारि जणा रक्खंति दवियमवक्कप्पियं तेहिं / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 404 ) चत्तारि जणा पाणयमुवकप्पंति अगिलाणए पाउग्गं / छंदियमवगददोसं अमाइणो लद्धिसंपण्णा / / (भगवती आराधना, गाथा 666) चंत्तारि जणा रक्खं ति दवियमुवकप्पियं तयं तेहिं / अगियाए अप्पमत्ता खवयस्स समाधिमिच्छति / / (भगवती आराधना, गाथा 667) पासित्तु कोइ ताई 'तीरं पत्तस्सिमेहिं' किं मज्झ ? | वेरग्गमणुप्पत्तो संवेगपरो स चिंतेइ / / ... ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 417 ) पासित्तु कोइ तादी तीरं पत्तस्सिमेहिं किं मित्ति / वेराग्गमणुप्पत्तो संवेगपरायणो होई / / (भगवती आराधना, गाथा 695)