________________ प्रकीर्णक और शौरसेनी आगम साहित्य : 137 तिण्णेव उत्तराओ पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य / वीसं च अहोरते तिण्णेव य होति सरस्स || (तिलोयपण्णत्ती, गाथा 518) अवसेसा णक्खत्ता पण्णरस वि सूरसहगता जंति / बारस चेव तेरस य समे अहोरते // (जोइसकरंडगं पइण्णयं, गाथा 176) अवसेसा णक्खत्ता पण्णारस वि सुरगदा होति / / बारस चेव मुहुत्ता तेरस य समे अहोरत्ते // (तिलोयपण्णत्ती, गाथा 519) जत्थिच्छसि विक्खंभं मंदरसिहराहि ओवतित्ताणं / एक्कारसहितलद्धो सहस्ससहितो तुविक्खंभो / / (जोइसकरंडगं पइण्णयं, गाथा 199) जत्थिच्छसि विक्खंभं मंदरसिहराउ समवदिण्णाणं / तं एक्कारसभजिदं सहस्ससहिदं च तत्थ वित्थारं / / (तिलोयपण्णत्ती, गाथा 1799) सपडिक्कमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स / मज्झिमयाण जिणाणं करणजाए पडिक्कमणं / / (तित्थोगालीपइण्णयं, गाथा 448) सपडिक्कमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स / अवराहे पडिकमणं मज्झिमयाणं / जिणवराणं / / (मूलाचार, गाथा 1/628) अठेव गया मोक्खं, सहमो बंभो य सत्तमिं पुढवि / मघवं सणंकुमारो सणंकुमारं गया कप्पं // (तित्थोगालीपइण्णय, गाथा 575) अठेव गया मोक्खं बम्हसुभउमा य सत्तमं पुढविं / मघवस्सणक्कुमारा सणक्कुमारं गआ कप्पं // (तिलोयपण्णत्ती, गाथा 1410) खवयस्स इच्छसंपायणेण देहपडिकम्मकरणेण / अन्नेहिं वा उवाएहिं सो समाहिं कुणइ तस्स . || ( आराहणापडाया ( पायणायरियविरइया), गाथा 60) खवयस्स इच्छसंपादणेण देहपडिकम्मकरणेण / अण्णेहिं वा उवाएहिं सो हु समाहिं कुणइ तस्स // (भगवती आराधना, गाथा 449)