________________ / प्रकीर्णक और शौरसेनी आगम साहित्य : 125 उव्वेयमरणं जादीमरणं णिरएसु वेदणाओ य / एदाणि संभरंतो पंडियमरणं अणुमरिस्से / / (मूलाचार, गाथा 76) भवसंसारे सव्वे चउविहा पोग्गला मए बद्धा / परिणामपसंगेणं अट्ठविहे कम्मसंघाए / __ (महापच्चक्खाण पइण्णयं, गाथा 51) संसारचक्कवालम्मि मए सव्वेवि पुग्गला बहुसो / आहारिदा य परिणामिदा य ण य मे गदा तित्ती / / (मूलाचार, गाथा 79) संसारचक्कवाले सव्वे ते पोग्गला मए बहुसो / आहारिया य परिणामिया य न य हंगओ तित्तिं // (महांपच्चक्खाण पइण्णयं, गाथा 52) संसारचक्कवालम्मि मए सव्वेपि पुग्गला बहुसो / आहारिदा य परिणामिदा य ण मे गदा तित्ती / / . (मूलाचार, गाथा 1/79) . आहारनिमित्तागं मच्छा गच्छंति दारूणे नरए / सच्चित्तो आहारो न खमो मणसा वि पत्थेउं / / (महापच्चक्खाण पइण्णयं, गाथा 54) आहारणिमित्तं किर मच्छा गच्छंति सत्तमि पुढवि / सच्चित्तो आहारो ण कप्पदि मणसावि पत्थेदं / / . (मूलाचार, गाथा 82) हंतूण मोहजालें छेतूण य अट्ठकम्मसंकलियं / जम्मण-मरणरहलै भेत्तूण भवाओ मुच्चिहिसि // __ (महापच्चक्खाण पइण्णयं, गाथा 66) हंतूण रांगदोसे छेत्तूण य अट्ठकम्मसंखलियं / . जम्मणमरणरहलै भेतूण भवाहि मुच्चिहसि // (मूलाचार, गाथा 90) किण्हा नीला काऊ लेसा झाणाइं अट्ठ-रोहाइं / परिवज्जितो गुत्तो रक्खामि महव्वए पंच || __ (महापच्चक्खाण पइण्णयं, गाथा 71) किण्हा नीला काओ लेस्साओ तिणि अप्पसत्थाओ / पजहइ . विहायकरणो संवेगंणुत्तरं पत्तो / / (भगवती आराधना, गाथा 1902)