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________________ 88888888, जीव विचार प्रकरण PARTS अन्वय इंगाल जाल मुम्मुर उक्का असणि कणग विजु आइया अगणि जियाणं भेया निउण बुद्धीए नायव्वा // 6 // संस्कृत छाया अंगार - ज्वाला-मुर्मर-उल्काशनयः कणको विद्युदादयः / अग्नि जीवानां भेदा ज्ञातव्या निपुण बुद्ध्या // 6 // शब्दार्थ इंगाल - अंगार, ज्वाला रहित काष्ठ की आग | जाल - ज्वाला मुम्मुर - कंडे की गरम राख में रहने वाले अग्निकण उक्का - उल्कापात असणि- आकाश से गिरने वाली चिंगारियाँ कणग- आकाश से तारों के समान विज्जु - बिजली, विद्युत् बरसने वाले अग्निकण / आइया - इत्यादि अगणि - अग्निकायिक जियाणं - जीवों के . भेया - भेद नायव्वा - जानने चाहिये, समझने चाहिये। | निउण - सूक्ष्म, निपुण बुद्धीएं - बुद्धि - प्रज्ञा से। . भावार्थ अंगार, ज्वाला, कंडे की राख में रहने वाले अग्निकण, उल्कापात, आकाश से गिरने वाली चिंगारियाँ, आकाश से तारों के समान बरसने वाले अग्निकण, बिजली इत्यादि अग्निकायिक जीवों के भेद सूक्ष्म बुद्धि से समझने | जानने चाहिये // 6 // -trThMR) HASHA तेउकाय चित्र : तेउकायिक जीवों के भेद
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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