________________ 8 0 जीव विचार प्रकरण 2058883 पलवेक पृथ्वीकायिक जीवों के भेद हैं // 3 // विशेष विवेचन उपरोक्त गाथा में पृथ्वीकायिक जीवों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किये गये हैं(१) स्फटिक - यह एक प्रकार का मूल्यवान् पाषाण है / पारदर्शी (जिसके आर-पार दिखाई देता है) होने से इसके महंगे चश्में, प्रतिमाएँ इत्यादि वस्तुएँ निर्मित होती हैं / (2) मणि - चन्द्रकान्तमणि - जो चन्द्रमा के समान प्रकाश देता है। सूर्यकान्तमणि - सूर्य के समान प्रकाश देता है / चन्द्रकान्तमणि, सूर्यकान्तमणि आदि पृथ्वीकायिक जीव समुद्र मे उत्पन्न होते हैं। (3) रतन - खान में से निकलने वाले नीलम, माणक, वज्रकर्केतन पन्ने, हीरा आदि / (4) मूंगा - यह परवाल के नाम से भी प्रसिद्ध है / लाल रंग का होता है और समुद्र में से निकलता है / इसकी प्रतिमाएँ इत्यादि अनेक वस्तुएँ बनती हैं। (5) हिंगुल - यह लाल रंग की होती है / इसमें से पारा निकलता है / (6) हरताल - खान में से निकलने वाली यह पीले रंग की विषैली मिट्टी औषधि बनाने . एवं अक्षर मिटाने के काम में आती है / (7) मैनसील - यह एक प्रकार की विषैली वस्तु है जो औषधि आदि निर्माण में प्रयुक्त होती है। (8) पारा - सफेद वर्ण का यह एक प्रकार का तरल पदार्थ है। अनाज (गेहूँ, ज्वार आदि) के भण्डारों में डाला जाता है जिससे उसमें जीवोत्पत्ति नहीं होती है / दवाईयाँ बनाने में भी यह प्रयुक्त होता है / 9) धातु - सोना, चांदी, जस्ता, लोहा, रांगा, तांबा, एल्युमिनियम, सीसा आदि अनेक प्रकार की धातुएँ। 10) खडिया - यह एक प्रकार की सफेद मिट्टी है जो लिखने में काम आने चौक बनाने में प्रयुक्त होती है / इसका दीवारें रंगने में भी उपयोग होता है / 11) हरमची - यह सोना, वस्त्रादि रंगने में काम आती है /