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________________ SSENSENSENSAN जीव विचार प्रश्नोत्तरी 765) अचक्षुदर्शनोपयोग किसे कहते है ? उ. चक्षुरिन्द्रिय के अतिरिक्त शेष चार इन्द्रियों में से किसी भी इन्द्रिय की सहायता से वस्तु में स्थित सामान्य धर्म को बताने वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार को अचक्षुदर्शनोपयोग कहते है। 766) अवधि दर्शनोपयोग किसे कहते है ? उ. मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना मात्र रुपी द्रव्यों में स्थित सामान्य धर्म को बताने वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार को अवधिदर्शनोपयोग कहते है / 767) केवलदर्शनोपयोग किसे कहते है ? उ. समस्त द्रव्यों एवं उनकी समस्त पर्यायों के सामान्य धर्म को बताने वाली आत्मिक ___ शक्ति के व्यापार को केवलदर्शनोपयोग कहते है / 768) ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग में क्यो अन्तर है ? उ. द्रव्य में स्थित विशेष धर्म को जानना ज्ञानोपयोग है जबकि द्रव्य में स्थित सामान्य ... ज्ञान को जानना दर्शनोप्रयोग है / 769) गति किसे कहते है ? उ. सुख-दुःख का उपभोग (अनुभव) करने योग्य स्थिति की प्राप्ति को गति कहते है / ___ गतियाँ चार प्रकार की होती हैं 1) देवगति 2) मनुष्य गति 3) तिर्यंच गति 4) नरक गति। 770) देव गति किसे कहते है ? उ. देव गति नाम कर्म के उदय से जीव को जिस पर्याय की प्राप्ति होती है, उसे देवगति कहते है। 771) मनुष्य गति किसे कहते है ? उ. मनुष्य गति नाम कर्म के उदय से जीव को जिस पर्याय की प्राप्ति होती है, उसे मनुष्य गति कहते है। 772) तिर्यंच गति किसे कहते है ? उ. तिर्यंच गति नाम कर्म के उदय से जीव को जिस पर्याय की प्राप्ति होती है, उसे तिर्यंच
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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