________________ STRENTIRE जीव विचार प्रकरण ARTISTER // श्री जीव विचार प्रकरण मूल // // 1 // // 2 // // 3 // // 4 // // 5 // // 6 // भुवण पईवं वीरं, नमिऊण भणामि अबुहबोहत्थं / जीवं सरूवं किंचिवि, जह भणियं पुव्वसूरीहिं जीवा मुत्ता संसारिणो य, तस थावरा य संसारी / पुढवी जल जलण वाउ, वणस्सई थावरा नेया फलिह-मणि-रयण विदुम-हिंगुल-हरियाल-मणसिल-रसिंदा / कणगाई धाऊ सेढी वन्निय-अरणेट्टय- पलेवा अन्भय तूरी ऊसं मट्टी पाहाण जाईओ-णेगा / सोवीरंजण-लुणाइ पुढवी भेयाइ इच्चाइ भोमंतरिक्खमुदगं ओसा हिम करग हरितणू महिया / / हुँति घणोदहिमाई भेया णेगा य आउस्स इंगाल जाल मुम्मुर उक्कासणि कणग विज्जुमाइया / अगणि जियाणं भेया नायव्वा निउण बुद्धीए उन्भामग उक्कलिया मंडली-मह-सुद्ध-गुंजवाया य / घण तणु वायाइया भेया खलु वाउकायस्स साहारण-पत्तेया वणस्सइ-जीवा दुहा सुए भणिया। जेसिमणंताणं तणू एगा साहारणा ते उ कंदा-अंकुर-किसलय-पणगा-सेवाल-भूमिफोडाय / अल्लय तिय-गज्जर-मोत्थ-वत्थुला-थेग-पल्लंगा कोमल-फलंच.सव्वं, गूढ सिराइं सिणाइ पताईं। थोहरि कुआरि गुग्गुलि गलोय पमुहाइ छिन्नरुहा इच्चाइणो अणेगे हवंति भेया अणंत कायाणं / तेसिं परिजाणणत्थं लक्खण मेयं सुए भणियं गूढ-सिर-संधि-पव्वं सम-भंगमहीरगंच छिन्नरूहं / साहारणं सरीरं तब्विवरियं च पत्तेयं // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 //