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________________ SARITRA AE जीव विचार प्रश्नोत्तरी N RITESTAB 5) गृहलिंग सिद्धः वे जीव, जो गृहस्थावस्था में केवलज्ञान प्राप्त करते हैं और मोक्ष में जाते हैं, वे गृहलिंग सिद्ध कहलाते हैं, जैसे मरूदेवी माता आदि। 6) स्वलिंग सिद्धः वे जीव, जो तीर्थंकर की वाणी के अनुरूप श्रमणवस्था में सिद्ध बनते हैं, वे स्वलिंग सिद्ध कहलाते हैं, जैसे सुधर्मा स्वामी आदि। 7) अन्यलिंग सिद्धः वे जीव, जो श्रमण के अतिरिक्त अन्य वेशएवं अवस्था में सिद्ध बनते हैं, वे अन्य लिंग सिद्ध कहलाते हैं, जैसे वल्कलचिरि आदि। .. 8) पुरुषलिंग सिद्धः वे जीव, जो पुरूषावस्था में सिद्ध बनते हैं, वे पुरूलिंग सिद्ध. कहलाते हैं, जैसे पुंडरिक स्वामी आदि। . 9) स्त्रीलिंग सिद्धः वे जीव, जो स्त्री अवस्था में सिद्धता प्राप्त करते हैं, वे स्त्रीलिंग सिद्ध कहलाते है, जैसे चंदनबाला, मृगावती आदि। 10) नपुंसक लिंग सिद्धः वे जीव, जो नपुंसक अवस्था में सिद्ध बनते हैं, वे नपुंसक लिंग सिद्ध कहलाते हैं, जैसे गांगेय अणगार आदि। 11) प्रत्येक बुद्ध सिद्धः वे जीव, जो निमित्तों के द्वारा असारता का बोध प्राप्त करके सिद्ध पद प्राप्त करते हैं, वे प्रत्येक बुद्ध सिद्ध कहलाते हैं, जैसे नग्गति, दुम्मुह आदि। 12) स्वयंबुद्ध सिद्धः वे जीव, जो स्वयं से बोध प्राप्त कर सिद्धि पद प्राप्त करते हैं, वे __ स्वयंबुद्ध कहलाते हैं, जैसे महावीर, ऋषभादि। 13) बुद्धबोधित सिद्धः किसी बोधि प्राप्त जीव से बोध प्राप्त करके सिद्धता पाने वाले बुद्धबोधित सिद्ध कहलाते हैं, जैसे गौतम, जम्बू आदि। 14) एक सिद्धःअकेले ही सिद्ध पद को उपलब्ध वाले एक सिद्ध कहलाते हैं, जैसे महावीर / 15) अनेक सिद्धः अनेक आत्माओं के साथ सिद्धि प्राप्त करने वाले अनेक सिद्ध कहलाते हैं, जैसे पार्श्व, ऋषभादि। 636) सिद्धों के बतीस गुण जो आचारांग सूत्र में बताये गये हैं, वे कौनसे हैं ? उ. 1) दीर्घ नहीं 2) ह्रस्व नहीं 3) त्र्यम्र नहीं 4) चतुरस्र नहीं. 5) परिमंडल नहीं 6) गोल नहीं 7) पीले नहीं 8) सफेद नहीं 9) काले नहीं
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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