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________________ SPETERESTEजीव विचार प्रश्नोत्तरी SISTER मनुष्यों में भी अन्तीप एवं अकर्मभूमि के मनुष्यों में पांचवां गुणठाणा नहीं होता हैं। कर्मभूमिज मनुष्यों के 45 भेदों में से गर्भज अपर्याप्ता एवं संमूर्छिम के भेदों को छोडकर गर्भज पर्याप्ता मनुष्य के 15 भेदों में ही पांचवां गुणठाणा पाया जाता हैं। 616) जीव के 563 भेदों में से कितने भेदों में छटे से यावत् चौदहवां गुणठाणा पाया जाता हैं ? उ. छट्टे गुणठाणे वाले सर्वविरति धर्म के आराधक होते हैं / गर्भज पर्याप्ता कर्मभूमिज __ मनुष्य ही संयम धारण कर सकता है अतः उनके गर्भज पर्याप्ता रूप पन्द्रह भेदों में ही छट्टे से लगाकर चौदहवां गुणठाणा पाया जाता है। 617) तिर्यंचों के 48 भेदों में से कितने भेदों में कौनसी लेश्या पायी जाती हैं ? उ. एकेन्द्रिय के 22 भेदों में से अपर्याप्त बादर पृथ्वीकाय-अप्काय-वनस्पतिकाय में प्रथम चार लेश्याएँ होती हैं, शेष 19 भेदों में प्रथम तीन लेश्याएँ ही होती हैं। पंचेन्द्रिय तिर्यंच के 20 भेदों में से गर्भज पर्याप्ता जलचर-चतुष्पंद-उरपरिसर्प-भुजपरिसर्पखेचर (पांच भेद) में प्रथम चार लेश्या होती हैं / 15 भेदों में एवं विकलेन्द्रिय के छह भेदों में तीन लेश्या ही होती हैं। . इस प्रकार तिर्यंच के 48 भेदों में से 8 भेदों में प्रथम चार (कृष्ण-नील-कापोत तेजो) और 40 भेदों में प्रथम तीन(कृष्ण-नील-कापोत) लेश्या पायी जाती हैं। 618) मनुष्य के 303 भेदों में से किसमें कौनसी लेश्या पायी जाती हैं ? उ. संज्ञी पर्याप्ता जीवों में छह लेश्या और असंज्ञी अपर्याप्ता जीवों में प्रथम तीन लेश्या होती हैं। मनुष्य के 303 भेदों में से संमूर्छिम अपर्याप्ता के 101 और गर्भज अपर्याप्ता (लब्धि अपर्याप्ता) के 101 भेदों में प्रथम तीन लेश्या ही होती हैं। परन्तु 101 गर्भज अपर्याप्ता (लब्धि पर्याप्ता) भेदों में एवं गर्भज पर्याप्ता जीवों में छह लेश्या होती हैं। 619) नरक के कितने भेदों में कौनसी लेश्या पायी जाती हैं? उ. नरक लेश्या भेद रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा कापोत 4 वालुकाप्रभा (साधिक तीन सागरोपम आयुष्य तक) कापोत
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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