SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 256
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SEKASSETHESENSION जीव विचार प्रश्नोत्तरी SSRIES 598) जीव के 563 भेदों में से देवों के कितने भेद होते हैं ? उ. 198 भेद। 599) जीव के 163 भेदों में से नारकी के कितने भेद होते हैं ? उ. 14 भेद। 600) जीव के 563 भेदों में से संज्ञी और असंज्ञी के कितने भेद होते हैं ? उ. जीव के 563 भेदों में से 212 भेद संज्ञी जीवों के और 351 भेद असंज्ञी जीवों के होते 601) जीव के 563 भेदों में से 212 भेद संज्ञी व 351 भेद असंज्ञी किस प्रकार हुए ? उ. 1) संमर्छिम जीव नियमतः असंज्ञी ही होते हैं। जीव के 563 भेदों में से 139 भेद संमूर्छिम जीवों के होते हैं / (101 मनुष्य+१० प.ति.+६ विकलेन्द्रिय+२२ एकेन्द्रिय) 2) गर्भज जीव, जो अपर्याप्ता होते हैं, वे भी असंज्ञी होते हैं / गर्भज जीव के 212 भेदों में से 106 भेद अपर्याप्ता होने से असंज्ञी होते हैं / (101 अ.म. + 5 अ.प.ति.) . 3) औपपातिक जन्म के 212 भेदों में से 106 भेद अपर्याप्ता के होने से असंज्ञी हुए। (99 देवता+७ नारकी) इस प्रकार संमूर्छिम असंज्ञी जीवों के 139 भेद, गर्भज अपर्याप्ता असंज्ञी जीवों के 106 भेद, औपपातिक अपर्याप्ता असंज्ञी जीवों के 106 भेद होने से कुल 351 भेद असंज्ञी जीवों के होते हैं। . गर्भज पर्याप्ता संज्ञी जीवों के 106 भेद और औपपातिक पर्याप्ता संज्ञी के 106 भेद होने से कुल 212 भेद संज्ञी जीवों के होते हैं। . 602) जीव के 563 भेदों में से कितने भेदों में कौनसा संस्थान पाया जाता है? उ. 1) समचतुरस्र संस्थान- देव-१९८, मनुष्य गर्भज पर्याप्ता-अपर्याप्ता-२०२, पंचेन्द्रिय गर्भज तिर्यंच-१०, = 410 भेद 2) मध्यवर्ती चार सस्थान- कर्मभूमिज मनुष्य गर्भज पर्याप्ता-अपर्याप्ता-३०, पंचेन्द्रिय गर्भज तिर्यंच-१०=४० भेद
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy