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________________ PROTESTHETS जीव विचार प्रश्नोत्तरी NRITES 4) सातवें और आठवें देवलोक के देवों की अवगाहना चार हाथ की होती है। 5) नौवें से बारहवें देवलोक के देवों की अवगाहना तीन हाथ की होती है। 6) नवग्रैवेयक के देवों की अवगाहना दो हाथ की होती है। 7) पांच अनुत्तर वैमानिक देवों की अवगाहना एक हाथ की होती है। 531) अपर्याप्त देवों का आयुष्य कितना होता है ? उ. जघन्य एवं उत्कृष्ट आयुष्य अन्तर्मुहूर्त का होता है। 532) अधोलोक में स्थित देवलोक के देवों का आयुष्य कितना होता है ? उ. अधोलोक में स्थित भवनपति देवों का उत्कृष्ट आयुष्य साधिक एक सागरोपम एवं जघन्य आयुष्य दस हजार वर्ष का होता है। . व्यंतर देवों का उत्कृष्ट आयुष्य एक पल्योपम और जघन्य आयुष्य दस हजार वर्ष का होता है। पन्द्रह परमाधामी देवों का जघन्य और उत्कृष्ट आयुष्य क्रमशः दस हजार वर्ष एवं देशान दो पल्योपम का होता है। तिर्यग्नुंभक देवों का जघन्य एवं उत्कृष्ट आयुष्य क्रमशः दस हजार वर्ष एवं एक पल्योपम का होता है। 533) मध्य लोक में स्थित देवलोक के देवों का आयुष्य कितना होता हैं ? उ. मध्य लोक में स्थित सूर्य-चन्द्र विमान के देवों का उत्कृष्ट आयुष्य साधिक एक पल्योपम और जघन्य पल्योपम का चौथा भाग होता है। ग्रह विमान के देवों का उत्कृष्ट आयुष्य एक पल्योपम और जघन्य आयुष्य पल्योपम का चतुर्थांश (चौथा भाग) होता हैं। नक्षत्र विमान के देवों का उत्कृष्ट आयुष्य अर्ध पल्योपम एवं जघन्य आयुष्य पल्योपम का चतुर्थांश होता है। तारा विमान के देवों का जधन्य आयुष्य पल्योपम का चतुर्थांश और उत्कृष्ट पल्योपम का आठवां भाग होता है।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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