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________________ S TATE जीव विचार प्रश्नोत्तरी TELEGER 421) मनुष्यों के कुल कितने भेद होते हैं ? उ. पन्द्रह कर्मभूमियों, तीस अकर्मभूमियों एवं छपन्न अन्तर्वीपों के मनुष्यों का कुल योगफल एक सौ एक हुआ। ये 101 भेद गर्भज अपर्याप्ता, गर्भज पर्याप्ता और संमूर्छिम अपर्याप्ता की अपेक्षा से गिनने पर कुल 303 भेद हुए। 422) मनुष्यों में कितने उपयोग पाये जाते हैं ? उ. कर्मभूमिज मनुष्यों में पांच ज्ञान, तीन अज्ञान एवं चार दर्शन रूप बारह उपयोग पाये जाते हैं / अन्तीपज मनुष्यों में मति अज्ञान, श्रुत अज्ञान, चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शनं रूपचार उपयोग पाये जाते हैं / अकर्मभूमिज मनुष्यों मे मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन रूप छह उपयोग होते हैं। .. 423) मनुष्य अवधिज्ञान के द्वारा कितना क्षेत्र देखता है ? उ. जघन्य से अंगुल का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट रूप से अलोक में लोक प्रमाण ___ असंख्यात खण्ड देखता है। 424) युगलिकों के शवों को समुद्र में कौन डालता हैं ? उ. भारण्ड पक्षी। 425) असंज्ञी मनुष्यों की गति-आगति बताओ ? उ. 179 में गति-१०१ संमूर्छिम मनुष्य, कर्मभूमिज 30 गर्भज पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता मनुष्य, 48 तिर्यंच / इन 179 भेदों में संमूर्छिम मनुष्य उत्पन्न हो सकते हैं। आगति-उपरोक्त 179 भेदों में से तेउकाय एवं वायुकाय के आठ भेदों को छोडकर शेष 171 भेद संमूर्छिम मनुष्यों में उत्पन्न हो सकते हैं। 426) पन्द्रह कर्मभूमिज संज्ञी मनुष्यों की गति-आगति बताओ? उ. कर्मभूमिज संज्ञी मनुष्य समस्त 563 भेदों में उत्पन्न हो सकते हैं। 276 भेदों में आगति-१०१ संमूर्छिम मनुष्य, कर्मभूमिज 30 गर्भज पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता मनुष्य, तेउकाय एवं वायुकाय के आठ भेद छोडकर तिर्यंच के 40 भेद, देवों के 99 पर्याप्ता भेद, प्रथम छह नरक के पर्याप्ता नारकी के छह भेद।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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