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________________ - जलचर ARRESTE जीव विचार प्रश्नोत्तरी ९लोकांतिक, 7 नारकी, 3 किल्बिषिक, इन देवों के पर्याप्ता 88 भेदों में आगति होने से कुल 267 में आगति होती हैं। 374) पांच संज्ञी तिर्यंच पचेन्द्रिय की गति बताओ? उ. संज्ञी तिर्यंच प्राणी गति भेद विवरण .. 527 नौवें देवलोक से अनुत्तर तक के 18 देवों के अपर्याप्ता-पर्याप्ता के 36 भेद कम करने से (563-36=527) उरपरिसर्प 523 6-7 नरक के नारकी के अपर्याप्ता-पर्याप्ता के चार भेद कम करके शेष पूर्ववत् (527-4-523) स्थलचर 521 523 भेदों में से पाचवीं नरक के पर्याप्ता-अपर्याप्ता नारकी के दो भेद कम करने से (523-2=521) खेचर 519 521 भेदों में से चौथी नरक के पर्याप्ता-अपर्याप्ता नारकी के दो भेद कम करने से (521-2=519) भुजपरिसर्प 517 519 भेदों में से तीसरी नरक के पर्याप्ता-अपर्याप्ता नारकी के दो भेद कम करने से (519-2=517) 375) तिर्यंच से तिर्यंचनी कितने गुणा ज्यादा है ? उ. 3 गुणा के उपर 3 अधिक है। 376) असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच एक मुहूर्त में उत्कृष्ट कितने भव करता है ? उ. 24 भव 377) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों के बीस भेदों में से गर्भज-संमूर्छिम के कितने-२ भेद होते हैं? उ. दस भेद संमूर्छिम के और दस भेद गर्भज के होते हैं। 378) पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के बीस भेदों में से पर्याप्ता-अपर्याप्ता के कितने भेद होते उ. दस भेद पर्याप्ता के और दस भेद अपर्याप्ता के होते हैं।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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