SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SHRESTS जीव विचार प्रश्नोत्तरी SHARE 315) दूसरे ऋषभनाराच संघयण वाला किस नरक तक जा सकता है ? उ. छट्ठी नरक तक। 316) तीसरे नाराच संघयण वाला किस नरक तक जा सकता हैं ? उ. पांचवीं नरक तक। 317) चौथे अर्द्धनाराच संघयण वाला किस नरक तक जा सकता हैं ? : ... उ. चौथी नरक तक। 318) पांचवें कीलिका संघयण वाला किस नरक तक जा सकता हैं ? उ. तीसरी नरक तक। 319) छटे छेवढ़ संघयण वाला किस नरक तक जा सकता हैं ? उ. दूसरी नरक तक। 320) वर्तमान में जीव किस नरक तक जा सकता है ? उ. वर्तमान में जीव छेवट्ठ संघयण होने से दूसरी नरक तक जा सकता है। 321) प्रथम नरक के कितने (काण्ड) हिस्से हैं ? उ. तीन काण्ड- 1) सबसे उपर खरकाण्ड नामक प्रचुर रत्नों से युक्त है जिसकी मोटाई सोलह हजार योजन हैं। 2) पहले काण्ड के नीचे दूसरा पंकबहुल नामक काण्ड है जो चौरासी हजार योजन मोटाई वाला है। 3) तीसरा काण्ड जलबहुल है जिसकी मोटाई अस्सी हजार योजन है / अन्य छह नरकों में इस प्रकार के काण्ड नहीं है। पंचेन्द्रिय तिर्यंच विवेचन खण्ड 322) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. तीन भेद - 1) जलचर 2) स्थलचर 3) खेचर। 323) जलचर किसे कहते हैं ? उ. जल में रहने वाले जीवों को जलचर कहते हैं।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy