SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीव विचार प्रश्नोत्तरी 98450585 लेश्याएँ होती हैं एवं तेउकाय तथा वायुकाय में कृष्ण, नील, कापोत रूप तीन लेश्याएँ होती हैं। 150) एकेन्द्रिय जीवों में कितने उपयोग पाये जाते हैं ? उ. तीन उपयोग- 1) मति अज्ञान 2) श्रुत अज्ञान 3) अचक्षु दर्शन 151) एकेन्द्रिय जीवों में कौनसा वेद पाया जाता है ? उ. नपुंसक वेद। 152) एकेन्द्रिय जीवो में कितने समुद्घात होते हैं ? उ. पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय एवं वनस्पतिकाय में वेदना, कषाय एवं मरण रूप तीन समुद्घात पाये जाते हैं। वायुकाय में इन तीनों के अलावा चौथा वैक्रिय समुद्घात भी होता है। 153) एकेन्द्रिय जीवों में कितने दर्शन होते हैं ? उ. एकेन्द्रिय जीवों में मात्र मिथ्यादर्शन ही होता है। 154) एकेन्द्रिय जीवों में कितनी दृष्टियाँ होती हैं ? उ. एकेन्द्रिय जीव दृष्टि रहित होते हैं। 155) एकेन्द्रिय जीवों की स्वकाय स्थिति कितनी होती हैं ? उ. पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय और प्रत्येक वनस्पतिकाय के जीवों की स्वकाय स्थिति असंख्य उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी होती हैं जब कि साधारण वनस्पतिकाय के जीवों की स्वकायस्थिति अनन्त उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी होती हैं। 156) एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार का आहार ग्रहण करते हैं ? उ. दो प्रकार -1) ओजाहार 2) लोमाहार। 157) एक समय में कितने एकेन्द्रिय जीव उत्पन्न होते हैं ? उ. वनस्पतिकाय के अतिरिक्त पृथ्वीकायादि चारों स्थावर जीव असंख्यात और वनस्पतिकाय के अनन्त जीव प्रति समय उत्पन्न होते हैं। 158) एक समय में कितने एकेन्द्रिय जीव मरते हैं ? उ. वनस्पतिकाय के अतिरिक्त चारों स्थावर जीव असंख्यात एवं वनस्पतिकाय के
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy