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________________ REERING जीव विचार प्रश्नोत्तरी PHOTOS 3. अनन्तकाय एवं निगोद। 126) साधारण वनस्पतिकाय के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिये ? उ. जमीकंद (आलू, प्याज, लहसून, मूली, गाजर, शकरकंद आदि), अंकुरित धान, नये कोमल पत्ते, पांच रंग की फुल्ली, सिवार, भूमिस्फोटक, अर्द्रक, हल्दी, कचूंरक, नागरमोत्था, वथुआ, थेग, पालक, थोहर, गलोय गुग्गल, आदि साधारण वनस्पतिकाय के भेद हैं। 127) शास्त्रों में कितने प्रकार की अनन्तकाय का वर्णन विशेष रूप से किया गया है? 3. बत्तीस प्रकार की अनंतकाय का विशेष-वर्णन शास्त्रों में उपलब्ध होता है, वह निम्नलिखित हैं१) सर्व कंद की जाति 2) भोयकालु 3) लीला आदु 4) लहसुन 5) गाजर . 6) किसलय 7) थेंग की भाजी 8) खिल्लडो 9) विलाडी का टोप 10) मसूर की बल्ली 11) आलू 12) वज्रकंद 13) थोर की जाति 14) सीतावरी 15) गलोय 16) लुणी वृक्ष 17) गिरिकीर्णिका 18) लीली मोढ 19) अमृतवेल 20) द्विदल के अंकुर 21) पालक 22) प्याज 23) हरी हल्दी 24) लीला कचूरा 25) खरसेया : 26) विष करैली 27) लोढक कंद 28) खरस झंबो 29) लुणी की छाल 30) मूली 31) ढक्कवत्थूल की भाजी 32) कुणी आंबली 28) साधारण वनस्पतिकाय के विशेष लक्षण क्या-क्या हैं ? 1. 1) साधारण वनस्पतिकाय की नसें, गाउँ और संधि स्थल गुप्त होते हैं। उनकी नसें. आदि गन्ने की भाँति स्पष्ट दृष्टिगोचर नहीं होती हैं। 2) साधारण वनस्पतिकाय को तोडने समान टुकडे होते हैं। झार वृक्ष के पत्ते को तोडने पर उसके एरंड के पत्ते के समान टेढे टुकडे न होकर समान/सीधे दो टुकडे होते 3) साधारण वनस्पतिकाय के तंतु नहीं होते हैं।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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