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________________ PRIOR जीव विचार प्रश्नोत्तरी R RORIES उ. अमुक/नियत काल तक एक शरीर में जीव को रोकने वाला आयुष्य कहलाता है। 94) स्वकाय स्थिति किसे कहते है ? उ. एक ही पर्याय में जीव जितनी बार जन्म लेता है एवं मरता है, उसे स्वकाय स्थिति कहते है। \95) प्राण किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव जीता है, उसे प्राण कहते है। R6) प्राण कितने प्रकार के होते हैं ? उ. दस प्रकार के - 1) स्पर्शनेन्द्रिय प्राण 2) रसनेन्द्रिय प्राण 3) घ्राणेन्द्रिय प्राण 4) चक्षुरिन्द्रिय प्राण 5) श्रोतेन्द्रिय प्राण 6) मन बल प्राण 7) वचन बल प्राण 8) काय बल प्राण 9) श्वासोच्छ्वास प्राण 10) आयुष्य प्राण। 597) योनि किसे कहते हैं? उ. जीव के जन्म लेने के स्थान को योनि कहते है। स्थूल शरीर बनाने के लिये उसके ___ योग्य पुद्गलों को प्रथम बार ग्रहण करना योनि कहलाता है। 18) योनियाँ कितनी है ? उ. चौरासी लाख। . 99) जीव अनन्त होने से उनके उत्पत्ति स्थान भी अनन्त हैं, फिर चौरासी - लाख ही योनियाँ क्यों कही गयी ? उ. जिन-जिन योनि स्थानों का वर्ण, गंध, रस, स्पर्श और संस्थान समान होते हैं, वह एक योनि ही कही जाती है / इन वर्णादि पांचों की तरतमता के आधार पर जीव की कुल 84 लाख योनियाँ कही गयी हैं। एकेन्द्रिय विवेचन खण्ड 100) पृथ्वीकायिक जीवों के भेद बताओ ? उ. स्फटिक, मणि, रत्न, परवाल, हिंगुल, हरताल, पारा, सोना-चांदी आदि धातुएँ, हरमची, पलेवक, अभ्रक, तेजंतूरी, क्षार, मिट्टी और पत्थर की अनेक जातियाँ,
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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